Quantcast
Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

साहित्य_इतना_केन्द्रीकृत पहले कभी नहीं था , जितना आज है ........ अनूप शुक्ला

$
0
0

 

          #आदिकाल और #भक्तिकाल के कवि बिखरे हुए थे । उनका बिखराव भौगोलिक भी था और वस्तुगत व भाषागत भी था । उनमें समानता के कुछ बिंदु भले खोज लिए जाएँ , लेकिन उनके साहित्य में पर्याप्त विविधता थी । संचारहीनता के उस युग में अपनी #भौगोलिक_विकेंद्रीयता और #भाषागत_विविधता के चलते उन्होंने बहुत बड़े जनसमुदाय को प्रभावित किया और रचनाओं के माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुँचाने में सफलता प्राप्त की .........

           #साहित्य_के_केन्द्र विकसित होने की परंपरा आधुनिक साहित्य में #आधुनिकतावाद के प्रवेश से बनी । कलकत्ता , पटना , बनारस , इलाहाबाद , कानपुर और #अंततः_दिल्ली क्रमशः साहित्य के केन्द्र बनते चले गए । अजमेर , भोपाल , मुंबई , आगरा , लखनऊ जैसे कुछ #उपकेन्द्र भी बने , लेकिन उनका वह जलवा नहीं था , जो साहित्य के  मुख्य केन्द्रों का था । उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में #कलकत्ता , भारतेन्दु युग में #बनारस तथा  द्विवेदी युग और छायावाद युग में #इलाहाबाद को हिन्दी साहित्य में जो केन्द्रीयता मिली , बाद के समय में #दिल्ली ने उस पर कब्जा कर लिया । दिल्ली #देश_की_ही_राजधानी_नहीं बनी , #साहित्य_की_भी_राजधानी बन गई । बड़े प्रकाशन संस्थान , साहित्य की केन्द्रीय अकादमियाँ , केन्द्रीय विश्वविद्यालय , बड़े अखबार समूहों व केन्द्रीय सरकारी विभागों द्वारा निकाली जाने वाली बड़ी पत्र पत्रिकाएं , विदेशी दूतावासों के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ तथा सहायता-अनुदान-सहयोग-विज्ञापन आदि के लुभावने आकर्षण ने दिल्ली को साहित्य-कला-संस्कृति का स्थायी केन्द्र बना दिया .........

          दिल्ली के साहित्यिक , सांस्कृतिक और प्रकाशकीय गतिविधियों के केन्द्र बनने से साहित्य की विकेंद्रीयता पर ही असर नहीं पड़ा , बल्कि कहीं न कहीं साहित्य और भाषा की विविधता भी प्रभावित हुई । पहले जो लेखक रचना में अपनी भाषा और अभिव्यक्ति के #निजीपन से पहचाने जाते थे , उनमें से अधिकांश #भाषा_और_अभिव्यक्ति के #सामान्यीकरण_और_समानीकरण के शिकार हो गए .........

        इससे साहित्य की समृद्धि बढ़ी या उसका नुकसान हुआ , यह आकलन का विषय है ; लेकिन यह जरूर देखा जाना चाहिए कि #साहित्य_के_लोक_से_कटते_जाने , साहित्य के #सामान्य_पाठकों_के_कम_होते_जाने और #लेखकों_के_ही_साहित्य_का_पाठक_रह_जाने के पीछे साहित्य की इस केन्द्रीयता की कोई भूमिका है या नहीं ?


अनूप शुक्ला 


                                          #अनूप_शुक्ल


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3437

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>