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प्रधानमंत्री के पोस्टमैन रामशरण / विवेक शुक्ला

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संसद भवन का कुछ माह पहले तक स्थायी चेहरा थे रामशरण। संसद भवन में दो डाकघर हैं, जिसमें काम करने वालों को लोग जानें या न जानें लेकिन अधिकतर लोग रामशरण पोस्टमैन को जरूर जानते थे। जब उन्होंने संसद भवन में काम आरंभ किया तो रोज तीन बोरा डाक आती थी और वे बांटते थे। अब वह घट कर एक बोरा रह गयी है और कभी कभार सोमवार को दो बोरा। एक बोरा 50 किलो का है।


 वे प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष से लेकर नेता विपक्ष और तमाम संसदीय समितियों के साथ संसद के कर्मचारियों की डाक लाते।रामशरण सिंह ने भारतीय डाक विभाग में 41 साल तक सेवा की। लेकिन वे रहे पोस्टमैन के पोस्टमैन। उनको एक बार भी प्रोमोशन नहीं मिला। वे संसद भवन के चप्पे चप् से वाकिफ थे।  भारतीय डाक पुस्तक के लेखक अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि वे जुझारू प्रतिबद्धता के साथ अपना काम किया करते थे। उन्होंने हमेशा अपने काम से ही मतलब रखा और कभी किसी को उनसे शिकायत नहीं रही। रामशरण का संबंध फरीदाबाद से था। वे हर साल डाक तार दिवस पर गोल डाक खाना में होने वाले कार्यक्रम में मौजूद रहा करते थे। पर वे इस बार नहीं थे। उनकी कमी खलती रही।


किस डाक घर में एंग्लो इंडियन


आज चूंकि विश्व डाकतार दिवस है, इसलिए   दिल्ली के सबसे पुरान डाकघर जनरल पोस्ट आफिस की बात करेंगे। इस दिल्ली वाले जीपीओ भी कहते हैं। कश्मीरी गेट पर स्थित जीपीओ का निर्माण 1885 में हुआ था। ये दो मंजिल इमारत हेरिटेज इमारत की श्रेणी में आ चुकी है। इसके डिजाइन में ब्रिटिश वास्तुकला की झलक मिलती है। ये 135 साल पुरानी होने पर भी सही स्थिति में है। इसकी समय-समय पर मेंटिनेंस और पुनरुद्धार होती रहती है।  दिल्ली के बहुत से एंग्लो इंडियन परिवारों का भी जीपीओ से संबंध रहा है। 


एक दौर में उनका कोई ना कोई सदस्य इसमें काम किया करता था। इससे 1940 से 1970 के दौर में मेरी आइजेक रिबेरो भी जुड़ी थीं। वो स्वतंत्र भारत की पहली चीफ पोस्ट मास्टर थीं। उनके पुत्र सिडनी रिबेरो अंग्रेजी के विद्वान हैं और लंबे समय तक दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंग्लिश पढ़ाते रहे हैं।


उधर,यमुनापार की लाइफलाइन विकास मार्ग का एक छोर कड़कड़ी मोड़ पर समाप्त होता है। उसके बाद एक चौराहा है और फिर आपको मिलता है भारतेंदु हरिश्चंद्र मार्ग। इसके ठीक साथ है यमुनापार का एक खास डाकघर। इस पर लिखा कृष्णा नगर। हालांकि कृष्णा नगर यहां से दो-तीन किलोमीटर दूर होगा। यहां पर काम करने वाले मुलाजिम सच में बेहद मेहनती हैं। हमेशा मुस्कराते हुए काम कर रहे होते हैं।


वेस्ट दिल्ली के संभवत: सबसे पुराने डाकघरों में वेस्ट पटेल मेन रोड  और शंकर रोड पर स्थित न्यू राजेन्द्र नगर के डाकघर हैं। ये दोनों कम से कम 75 सालों से  चल रहे हैं। 


गोल डाकखाने से सीपी के डाकघर तक


नई दिल्ली के सबसे पुराने डाकघर गोल डाकखाना की बात भी करेंगे। गोल डाकखाना को  संरक्षित इमारत का दर्जा भी दिया हुआ। इस डाकघर का पिन कोड नंबर-110001 है। गोल डाकखाना बाहर से देखने में छोटा अवश्य लगता है, पर इसके अंदर जाकर समझ आता है कि कितना विशाल है यह। इसका निर्माण 1932 में पूरा हो गया था। 


नई दिल्ली के 1931 में उदघाटन के फौरन बाद इसमें काम करना चालू कर दिया था। इस बीच, कनॉट प्लेस के ए ब्लॉक में भी एक बड़ा डाकघर है। ये राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 8 के ठीक सामने है। ये 1940 के आसपास शुरू हो गया था। इन दोनों को नई दिल्ली के सबसे पुराने डाकघरों में माना जा सकता है।


Navbharattimes 

Vivekshukladelhi@gmail.com


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