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मलाना हिल्स हिमाचल प्रदेश

 मलाना हिल्स हिमाचल

मलाना हिमाचल प्रदेश का एक गांव है । यह गांव मालाना क्रीम यानी कि हशीश के लिए सुप्रसिद्ध है । यह भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है । भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन अगर कहा जाए कि इसी मुल्क में एक ऐसा गांव भी है, जहां भारत का संविधान नहीं माना जाता!इस बात पर जल्दी यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन यही हकीकत है!

Malana
ley
village
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Sign outside Malana, Himachal Pradesh.jpg
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Malana is located in हिमाचल प्रदेश
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Malana
Malana
Location in Himachal Pradesh, India
निर्देशांक: 32°03′46″N 77°15′38″E / 32.06278°N 77.26056°E
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India
StateHimachal Pradesh
जनसंख्या (July 2017[1])
 • कुल4,700
Languages
 • OfficialHindi
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)

गांव की अपनी संसदीय व्यवस्थासंपादित करें

इस गांव के अपने खुद के दो सदन हैं. एक छोटा सदन और एक बड़ा सदन. बड़े सदन में कुल 11 सदस्य होते हैं, जिसमें 8 सदस्य गांव वालों में से चुने जाते हैं, जबकि तीन अन्य कारदार, गुर और पुजारी स्थायी सदस्य होते हैं!इस सदन की अनोखी बात यह है कि गांव के प्रत्येक घर से एक सदस्य जरूर होता है! घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ही प्रतिनिधित्व करता है!वहीं, ऊपरी सदन में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाए तो पूरे ऊपरी सदन का दोबारा गठन किया जाता है!सिर्फ़ सदन ही नहीं बल्कि मलाणा गांव का अपना प्रशासन भी है; कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इनके अपने कानून हैं!इनके खुद के थानेदार भी होते हैं और सरकार भी इसमें दखल अंदाजी नहीं करती!अब बारी आती है सदन में सुनवाई की!सदन में हर तरह के मामलों को निपटाया जाता है!यहां फैसले देवनीति से तय होते हैं; संसद भवन के रूप में ऐतिहासिक चौपाल लगाई जाती है! ऊपरी सदन के 11 सदस्य ऊपर बैठते हैं और निचली सदन के सदस्य नीचे बैठे होते हैं! यूं तो हर तरह के फैसलों का यहीं पर निपटारा हो जाता है, लेकिन अगर कोई ऐसा मामला फंस जाए जिसको समझ पाना मुश्किल हो रहा हो, तो ऐसे में ये मामला सबसे अंतिम पड़ाव पर भेज दिया जाता है!अंतिम फैसला होता है जमलू देवता का!ये गांव वाले जमलू ऋषि को अपना देवता मानते हैं;इन्ही का फैसला सच्चा और अंतिम माना जाता है! किसी मामले को जमलू देवता के हवाले करने की बाद बहुत ही अजीबो गरीब तरीके से फैसला किया जाता है. जिन दो पक्षों का मामला होता है, उनसे दो बकरे मंगाए जाते हैं!दोनों ही बकरों की टांग में चीरा लगाकर बराबर मात्रा में जहर भर दिया जाता है. जहर भरने के बाद बकरों के मरने का इंतजार होता है और जिस पक्ष का बकरा पहले मरता है, वह दोषी होता है!अब इस अंतिम फैसले पर कोई सवाल भी नहीं खड़े कर सकता है, क्योंकि इनका मानना है कि यह फैसला खुद जमलू देवता ने सुनाया है!हालांकि साल 2012 के बाद से इस गांव में काफी बदलाव देखने को मिले हैं. मसलन पहले यहां चुनाव भी नहीं होता था, लेकिन साल 2012 के बाद से यहां चुनाव होने लगे हैं.


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