मुंबई यात्रा यादगार हो गई. जुहू के Hotel Novotel से निकला तो एक सड़क का नाम बलराज साहनी मार्ग देखते ही ड्राइवर से पूछा कि य़ह जगह बलराज सहनी मार्ग कैसे है? 50 साल से मुंबई की सड़कों पर ड्राइव री कर रहे अबु ने बताया कि इधर बलराज साहनी रहा करते थे. उनका घर है. य़ह सुनने के बाद आगे के कार्यक्रम को टालते हुए मैंने अबु जी से कहा कि बलराज जी के घर चलेंगे.
दो मिनट में हम एक बेह्तरीन इंसान और लाज़वाब अभिनेता के घर बाहर खड़े थे. करीब 500 गज में बना घर खंडहर में बदल चुका है. घर की खराब हालत बलराज साहनी जी के चाहने वालों को उदास करेगी. इस घर के आगे Carlton नाम के एक सज्जन मिल गए. वे वहां अपने दोस्तों से गप कर रहे थे. उधर ही रहते हैं. कहने लगे कि पिछले दस सालों से इधर कोई नहीं रहता.
बलराज साहनी का बेटा परीक्षित अलग घर या अमरीका में रहते हैं.
Calrton को याद है जब बलराज जी यहां से पैदल ही जुहू बीच में घूमने के लिए जाया करते थे. उनके घर से जुहू बीच 5 मिनट walking करने पर आ जाता है. वे भूले नहीं है जब बलराज साहनी जी का निधन हुआ था. वे तब 10 बरस के थे. उनके पिता ने बताया था बलराज जी को heart attack हुआ था. उस दिन यहां बहुत लोग आए थे.
हम और Carlton बातें कर रहे थे तब ही Carlton का एक दोस्त भी आ गया. बताने लगा कि उनके पास एक फिएट कार थी. उसे वे चलाते थे. करीब 20 मिनट तक दो बीघा ज़मीन, वक़्त, काबुली वाला, गर्म हवा जैसी कालजयी फ़िल्मों के नायक बलराज साहनी जी के घर से हम अपने आगे के सफर के लिए चल पड़े.
एक बात और. रावलपिंडी से 1947 के बाद आए परिवारों के लिए बलराज साहनी उनके अपने थे. सबको गर्व होता था कि उनके शहर से आते हैं बलराज साहनी . इस बारे में कभी अलग से लिखूंगा. मेरे परिवार की Rawalpindi से आई पीढ़ी भी उन्हें अपना कहती थी. वे KHUKRAIN KHATRI बिरादरी के भी हीरो हैं.