खजुराहो ( म.प्र) वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अजय ब्रम्हात्मज ने सिनेमा को कोविद काल के बाद किसी बीमार वृद्ध की तरह बताया जो आई सी यू में वेंटिलेटर पर है जबकी ओटीटी उम्मीद जगाता बच्चा है जिसका भविष्य बेहत्तर है.वें सातवें खजुराहोअंतर राष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल में आयोजित घर में सिनेमाघर मीडिया विमर्श में बोल रहे थे.

विमर्श का प्रास्ताविक मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार नीलकंठ पारटकर ने करते हुए कहा कि आज देश में साठ करोड से अधिक लोग इस प्लेट फार्म के ग्राहक है,अकेले डिस्ने हाक स्टार के पास तीस करोड ग्राहक है.मजबूत और विविधता भरा कंटेंट रियालिटी के करीब होने के कारण हर दिल अजीज है.जयपुर के फिल्मकार अविनाश त्रिपाठी ने कहा फिल्में फिल्में हीरो को ध्यान में लाकर बनती थी जबकि ओटीटी में कंटेंट ही हीरो है इसलिये जामताडा, पंचायत जैसी सीरिज भी सफल है. नवभारत टाइम्स की फीचर एडिटर रेखा खान ने कहा कि फिल्मों में महिलाऐं सिर्फ खानापूर्ती के लिये होती थी लेकिन ओटीटी ने महिलांना का सही मूल्यांकन हुआ,इनके नये तेवत, जेंडर,और सेक्सुअलिटी के सभी अक्स ओटीटी पर उभरे.
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा कि लाकडाउन में जब सिने उद्योग ठप था तब ओटीटी ने मनोरंजन का जिम्मा उठाया,आज यह भले ही शैशव अवस्था में है पर भविष्य में सशक्त मंच बनने की असीम संभावनाऐं है. मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार लेखक हरीश पाठक ने कहा कि सिनेमा का अलग आनंद है वह किसी उत्सव से कम नहीं इसलिये सिनेमा की सार्थकता बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा हिंदी साहित्य के साथ सिनेमा ने न्याय नहीं किया ओटीटी को हिंदी कथा कहानी को कंटेंट में लेना चाहिए.आभार पवन कुमार श्रीवास्तव ने व्यक्त किए.
एक अन्य विमर्श में सिनेमा का बदलता चेहरा पर चर्चा हुई.लेखक प्रहलाद अग्रवाल ने कहा कि साठ के दशक में राजकपूर देवानंद ने चिर युवा फिल्में बनाई वह आज भी सुकून देती है.जबकि आज की फिल्में दो दिन बाद किसी को याद नहीं रहती. फिल्मकार गजेंद्र श्रोत्रिय ने कहा सिनेमा पर तकनीक हावी हो चूकी है.जयपुर की मीडिया शोधार्थी निवेदिता शर्मा ने कहा कि सिनेमा की गरिमा खत्म हो रही है. फिल्म समीक्षक प्रकाश के रे ने कहा कि सिनेमा तो गांव तक पहुंचा पर सिनेमा गांव से नदारत है.
वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा कि सिनेमा मुंबई छोड अन्य राज्यों में जाए तो स्थानिय लोगों को अवसर मिलेंगे.भोपाल में कई फिल्मों की शूटिंग हो रही है. इस से भारत भवन के रंगकर्मियों को अवसर मिल रहा है. चर्चा का संचालन अजय ब्रम्हात्मज ने किया.