अभी कुछ दिन पहले ही विश्व महिला दिवस मनाया गया और इस लिए हम बात करेंगे महिलाओं की प्रतिमाओं की! शुरू करते हैं ग्यारह मूर्ति से! महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 को दांडी मार्च शुरू की थी। उसी सत्याग्रह की याद में सरदार पटेल मार्ग-मदर टेरेसा क्रिसेंट पर महान मूर्तिकार देवीप्रसाद राय चौधरी की अप्रतिम कृति 'ग्यारह मूर्ति'स्थापित है। यह स्थान राष्ट्रपति भवन के ठीक बगल में है।
ग्यारह मूर्ति में बापू के साथ मातंगीनी हज़रा और सरोजनी नायडू को भी दिखाया गया है। मातंगीनी हज़रा महान क्रांतिकारी थीं। गोरी सरकार की पुलिस ने 29 सितंबर, 1942 को पूर्वी मिदनापुर जिले में उन्हें गोली मार दी थी।
सरोजनी नायडू गांधी जी के साथ नोआखली में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए भी गईं थीं। वो उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल भी बनीं। ग्यारह मूर्ति में गति व भाव का शानदार समन्वय मिलता है। इधर से अगर आप लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज चलें तो आपको मिलेगी ‘माता जी’ की आदमकद मूर्ति। कभी लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के अंदर जाइये। इधर एक महिला की बड़ी सी मूरत स्थापित है।
इसे देखकर लगता है कि ये यहां की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही हैं। इस मूरत को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज बिरादरी माताजी कहती है। माता जी के चेहरे-मोहरे को देखकर समझ आ जाता है कि यह किसी विदेशी महिला की प्रतिमा है।
दरअसल यह लेडी हार्डिंग की प्रतिमा है। उन्हीं के प्रयासों से 7 फरवरी, 1916 को यह मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया था। लेडी हार्डिंग ने इसकी नींव 17 मार्च,1914 को रखी थी।
आपने रानी झांसी रोड पर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की अश्वारोही प्रतिमा को देखकर अवश्य मुग्ध होकर निहारा होगा। रानी का घोड़ा दो पैरों पर खड़ा है। हवा में प्रतिमा तभी रहेगी जब संतुलन के लिए पूंछ को मजबूत छड़ से गाड़ दिया जाए, यह बात इसे बनाने वाले मूर्तिकार सदाशिव साठे समझते थे। सदाशिव साठे अश्वारोही प्रतिमाएं गढ़ने में सिद्धहस्त थे।
देवी अहिल्याबाई होलकर कौन थीं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले बनारस में काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करते हुए इंदौर की देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा स्थापित की थी। देवी अहिल्याबाई की प्रतिमा संसद भवन में सन 2006 में स्थापित हुई थी। उनकी दिल्ली में भी उपस्थिति है।
कनॉट प्लेस के पास पंचकुंइयां रोड में एक सड़क का नाम अहिल्याबाई होलकर मार्ग रख दिया गया है। देवी अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में अनेक मंदिरों व धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि वो सन 1780 में कुरुक्षेत्र तीर्थयात्रा के दौरान राजधानी दिल्ली भी आईं थीं। उन्होंने तब पहाड़गंज में पानी की समस्या को दूर करने के लिए पांच कुओं का निर्माण करवाया था। इसी लिए इस जगह का नाम पंचकुंइया रोड रखा गया।
अब उन कुओं के अवशेष भी नहीं मिलते जिनका निर्माण देवी अहिल्याबाई ने करवाया था। इस बीच, संसद भवन के गेट नंबर पांच पर इंदिरा गांधी की 16 फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा 27 जनवरी, 1996 को स्थापित की गई थी। इसे महान मूर्तिकार राम सुतार ने बड़े मन से तैयार किया था। आपको संसद भवन में ही कर्नाटक के कित्तूर की रानी चेन्नम्मा की भी प्रतिमा मिलती है। रानी चेन्नम्मा ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ अपनी सेना बनाकर लड़ीं थीं। उन्हें दक्षिण भारत की झांसी की रानी कहा जाता है। उनकी मूरत 11 सितम्बर,2007 को संसद भवन में स्थापित हुई थी। इन्हें छोड़कर राजधानी में महान महिलाओं की मूरतें संभवत: नहीं हैं। राम सुतार को भी हैरानी हुई कि दिल्ली या दिल्ली के बाहर आधी दुनिया की शख्सियतों की मूर्तियां क्यों नहीं बनीं और स्थापित हुईं।
Pictures: Graham Murti, Lady Harding and Devi Ahilyabai Holkar.
Vivek Shukla,
Navbharattimes (Saddi Dilli)10 March, 2022