आप लोदी रोड से कनॉट प्लेस जाते हुए आईएनए मार्केट के रास्ते सफदरजंग एयरपोर्ट को पार करते हुए जनपथ की तरफ बढ़ते हैं। जनपथ के गोल चक्कर से आप जब आगे निकलते हैं,तो आपको वेस्टर्न कोर्ट और ईस्टर्न कोर्ट भी दिखाई दे जाते हैं। जनपथ खत्म होते ही आप आ जाते हैं उस कनॉट प्लेस में, जिसका डिजाइन बनाया था रोबर्ट टोर रसेल (1888-1972) ने। सिर्फ कनॉट प्लेस का ही नहीं बनाया था डिजाइन उन्होंने। टोर ने लोदी रोड के डबल स्टोरी फ्लैट्स,सफदरजंग एयरपोर्ट, वेस्टर्न कोर्ट तथा ईस्टर्न कोर्ट, तीन मूर्ति को भी डिजाइन तैयार किया था। रसेल को गुजरे हुए इस साल आधी सदी हो रही है,पर उनकी कृतियों पर दिल्ली जितना चाहे फख्र कर सकती है।
अप्रतिम आर्किटेक्ट रसेल ने सन 1929 में कनॉट प्लेस का डिजाइन बना लिया था। इसके बाद इसका निर्माण शुरू हुआ और यह 1933 तक बन गया। रसेल ने कनॉट प्लेस का डिजाइन ग्रिगेरियन स्टाइल का रखा है। इसमें डिजाइन सिमेट्रिकल (एक-सा) होता है। आप नोटिस कर सकते हैं कि सारे कनॉट प्लेस का डिजाइन एक समान है। कनॉट प्लेस पूरी तरह से सफेदरंग का है। रसेल की अधिकतर इमारतें सफेद रंग में है। बारह ब्ल़ॉकों में बंटा हुआ कनॉट प्लेस 1743 गोलाकार स्तंभों पर खड़ा है। आप इसमें सात रास्तों से पहुंच सकते हैं।रसेल विंडो शॉपिंग करने वालों को घूमने का पर्याप्त स्पेस देते हैं।
एक बात साफ कर दें कि साल 1960 के बाद कनॉट प्लेस में जनपथ,शंकर मार्केट,मोहन सिंह प्लेस, पालिका बाजार वगैरह बने। जाहिर है, इनका रोबर्ट टोर रसेल से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने कुछ प्राइवेट भवनों का भी डिजाइन किया था। इनमें पटौदी स्थित पटौदी हाउस भी है। इफ्तिखार अली खान पटौदी के आग्रह पर रोबर्ट टोर रसेल ने पटौदी हाउस को डिजाइन किया था। कहा जाता है कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान पटौदी कनॉट प्लेस के आकर्षक डिजाइन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रसेल को अपने पटौदी हाउस का डिजाइन करने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। उस समय भारत में काम कर रहे ब्रिटिश आर्किटेक्ट फ्री लासिंग भी किया करते थे। पटौदी कनॉट प्लेस को बचपन से ही देख रहे होंगे। उनका जन्म दरियागंज के पटौदी हाउस में ही हुआ था। तो जाहिर है, पटौदी ने भी कनॉट प्लेस को कई बार नापा होगा।
रोबर्ट टोर रसेल ने कनॉट प्लेस के डिजाइन पर काम करने से पहले तीन मूर्ति ( पहले फ्लैग स्टाफ हाऊस ) का डिजाइन तैयार करके आर्किटेक्ट के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। उनकी रचनाधर्मिता को सब मान रहे थे। रसेल ने एडविन लुटियंस के साथ मिलकर 1,3,5,7 रेस कोर्स रोड ( अब लोक कल्याण मार्ग) के बंगलों के भी डिजाइन बनाए। राजीव गांधी ने साल सन 1984 में प्रधानमंत्री बनने के बाद इन सब बंगलों को एक करके प्रधानमंत्री निवास के रूप में तब्दील कर लिया था।
रोबर्ट टोर रसेल सीपीडब्लूडी यानी केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के चीफ आर्किटेक्ट थे। वे भारत आने से पहले ब्रिटिश सरकार की सेवा में थे। रोबर्ट टोर रसेल के पिता एस.बी. रस्सेल भी आर्किटेक्ट थे। इसलिए माना जा सकता है कि पिता से प्रभावित होकर रोबर्ट टोर रसेल ने भी आर्किटेक्ट बनने के संबंध में सोचा होगा। वे सन 1919 में भारत आते हैं। उनके लिए सन 1929 से सन 1933 का समय बेहद खास रहा। इस दौरान वे तीन मूर्ति भवन,वेस्टर्न- ईस्टर्न कोर्ट वगैरह के भी डिजाइन बनाते हैं। वे भारत में लगभग 22 सालों तक अतुल्नीय काम करने के बाद सन 1941 में सरकारी सेवा से रिटायर हो जाते हैं। उसके बाद वे वापस अपने देश चले जाते हैं। हालांकि उनके जाने के बाद उनके डिजाइन पर लोदी रोड के सरकारी घर बनते हैं। यह सन 1946 की बात है। इसे दिल्ली में गोरों की तरफ से बनाई अंतिम आवासीय कॉलोनी माना जाता है। कमाल की कॉलोनी है।
वे ब्रिटेन वापस लौटने के बाद ब्रिटिश सरकार के हाउसिंग मामलों के सलाहकार बन जाते हैं। रोबर्ट टोर रसेल साल 1954 में पूरी तरह से रिटायर हो जाते हैं और शेष जीवन अपनी पत्नी इथेल हैच के साथ गुजारते हैं। उनका एक पुत्र और पुत्री भी थे। रोबर्ट टोर रसेल का 1972 में निधन हो गया था। अब कभी कनॉट प्लेस जायें तो उन्हें एक बार याद अवश्य कर लें।