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पप्पू से पापा बन कर निकल पड़े हैं राहुल गांधी / शिशिर सोनी

 


खरी खरी /   शिशिर सोनी

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शत प्रतिशत मोदी - शाह की नीति अपना रहे हैं राहुल गांधी। जिसको कमजोरी बताई जाए उसी को पैना अस्त्र बना कर धज लो। फिर विरोधियों के खिलाफ उसी अस्त्र का इस्तेमाल कर एक एक "कहे"का संहार करो। राहुल गांधी निकल चुके हैं। खुद को "पप्पू"के "पापा"सिद्ध करने। लोगों का दिल जीतने। देश से कनेक्ट करने। निकले तो प्यार मिल रहा है। चौतरफा ज़िंदाबाद हो रहा है। राहुल गांधी इस बार फोकस्ड हैं। उन्हें जनता की दुखती नस कहाँ है, पता है। बस उसी की बात कर रहे। 


पैदल मार्च अभी शुरू ही हुआ है। लोगों का सपोर्ट देखते हुए तय कर लिया गया। छः महीने में इस पैदल यात्रा से बने राजनीति माहौल को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए 2024 लोकसभा चुनाव से पहले तक के लिए वेस्ट टू नॉर्थ एक और यात्रा तय की जायेगी। ज्वलंत मुद्दों से लबरेज राहुल की यात्रा में लोक आवाज प्रखर रहे इसी वजह से आमलोग, आम संगठन सब को बोलने का मौका दिया जा रहा। सभी की वेदना को समझा जा रहा। 


भाजपा अध्यक्ष कौन हैं? देश के दूर दराज के लोगों से अचानक पूछ दो तो वो शायद ही बता पाएं! अध्यक्ष कोई रहे कमान मोदी, शाह के हाथों में ही है, सब जानते हैं। ठीक वैसे ही अब राहुल गांधी ने भी तय किया है, वे कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे। 24 से नामांकन भरा जाना है। अशोक गहलोत बनाम शशि थरूर चुनाव होंगे ऐसा लग रहा है। अंत में जिसके पक्ष में गांधी परिवार होगा, जीत उसकी होगी। जाहिर है अशोक गहलोत का पलड़ा भारी रहेगा। जब तक नया अध्यक्ष कांग्रेस संभालेगा तब तक राहुल गांधी को जनप्रिय, मास लीडर के तौर पर स्थापित करने की कोशिश होगी। परोक्ष रूप से राहुल गांधी पार्टी संभालेंगे। उन्हीं के इर्द गिर्द मजमा जमेगा। आदेश का पालन नया अध्यक्ष करेगा। 


भाजपा में संगठन महामंत्री पहले बहुत मजबूत पद हुआ करता था। संजय जोशी अंतिम ताकतवर भाजपा संगठन महामंत्री थे। उनके बाद कौन कौन इस पद पर आये, शायद ही कोई आदमी एक सांस में उन नेताओं का नाम बता सकेगा। अभी कौन हैं, वो भी कई नहीं बता सकेंगे। वैसे ही कांग्रेस में संगठन महामंत्री पहले मजबूत पद हुआ करता था। वरिष्ठ नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी जाती थी। जनार्दन द्विवेदी के बाद कांग्रेस में भी इस पद पर ऐसे शिखंडी को बिठाया गया जिसका अखिल भारतीय राजनीति से कोई सरोकार नहीं। आज के समय इनका नाम भी शायद ही किसी को पता हो। 


पद कोई भी हो। नेता कोई भी बैठा हो। भाजपा में मोदी, शाह से बड़ा कोई न दिखे ये तय कर दिया गया है। अब कांग्रेस में राहुल गांधी से बड़ा कोई न दिखे इसका प्रयास शुरू हो चुका है। उसी डिजाइन पर राहुल गांधी ने पहले बिना कांग्रेस अध्यक्ष बने अपने कृपा पात्र केसी वेणुगोपाल को AICC के सबसे ताकतवर पद, General Secretary, Organisation बनाया, अब कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर भी अपने Yes Man को बिठाने की तैयारी है। चुनाव होगा। वोट दिया जायेगा। जीत उसी की होगी जिसको जिताने का इशारा राहुल गांधी करेंगे।


पैदल यात्रा के बाद राहुल गांधी जल्द ही कांग्रेस के सर्वमान्य धाक वाले नेता बनते हुए दिखेंगे। वो पप्पू के पापा हैं ये आम जनता तय कर देगी। विपक्ष के उन नेताओं के लिए ये सब दुःस्वपन जैसा होगा जो खुद को पीएम मेटेरियल मान कर मोर्चाबंदी में जुटे हैं। 2024 को आसान चुनाव मानने वाले सत्ता पक्ष के माथे पे भी शिकन दिखने लगी है। 


सत्ता में भाजपा कांग्रेस सा behave कर रही है। संगठन में कांग्रेस भाजपा सा behave करती दिख रही है।



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