देश के कई इलाकों में तेजी से स्वघोषित धर्म गुरुओं की सेना बढ़ी है। ये माफिया सा बर्ताव कर रहे हैं। धर्म के ठेकेदार बन रहे हैं। भोलीभाली परेशान जनता ठगी जा रही है। सरकारें मंद मंद मुस्का रही है। सियासत को ऐसे ही "बाड़े"की तलाश होती है। जहाँ एक साथ वोटर को एक दिशा में हाँका जा सके। यही वजह है कि ऐसे राजनेताओं के संरक्षण में पल रहे बाबाओं की भीड़ से कभी राम रहीम पैदा होता है तो कभी आसाराम तो कभी रामपाल जैसे कुसंस्कारी लोग।
बाबा के शक्ल में कुकृत्य के कैसे कैसे आरोप इन पर चस्पा हुए! फिर भी न तो ऐसे बाबाओं की संख्या कम हो रही, न ही जय जयकार करती कुपढ भक्तों की भीड़ में कोई कमी हुई। कोई डेरा चला रहा है। कोई आश्रम। कोई गद्दी चला रहा है तो कोई दरबार सजा रहा है। सोशल मीडिया इनके प्रचार का साधन बन गया है। नेता, अभिनेता को मैनेज कर बुलाया जाता है। माहौल बना कर ऐसा शमा बाँधा जाता है कि ऊपर भगवान और नीचे बाबा के अलावा कुछ न दिखाई दे, न कुछ समझ आये। जब तक समझ आये तब तक सब कुछ लुटा चुकी जनता एक वोटर के सिवा कुछ नहीं बचती।
हज़ारों की भीड़ में पर्ची लिखी जा रही है। सातवी फेल बाबा के शक्ल में खुद को अल्लाह/भगवान का दूत बताने वाले ये लोग दावा करते हैं आप पर भूत का साया है। फिर कहते हैं - सेनापति इनको चिमटे से पिटाई करो। और जोर से मारो। फिर वो व्यक्ति जोर जोर से उछलने लगा है। उछल कूद करते वक़्त वो व्यक्ति अपना पैंट संभालता है। औरत है तो साडी संभालती है। अब जिस पर प्रेत का साया है वो कपड़े क्या संभालेगा? मगर सब चल रहा है। पर्ची पर पहले से लिखा जा रहा है कौन क्या पूछने आया है। सरेआम किसी महिला के बारे में उसके रिश्तों के बारे में झूठ सच का बखान कर चिरकुटों की फौज खुद को महिमामंडित करवा रही है।
सजाधजा पगड़ी मुकुट पहने एक अनपढ़ बड़े से सिंहासन पर बैठा है। एक पर्ची पर लिख कर तम्बू में आये भक्त के आधार नंबर बता रहा है। कितने रुपये के नोट तुम्हारे पास हैं उसका क्या नंबर है, ये बता रहा है। लोग पागल हुए जा रहे हैं। जयकारें लग रहे हैं। अजीब अजीब दरबार चल रहे हैं।
मोगैम्बो टाइप दिखने वाला एक बाबा दरबार में सबको हवन करने की सलाह दे रहा है। परिवार का DNA जोड़ रहा है। उसका दावा है हवन मात्र से सभी कष्टों का निवारण संभव है। फिर कोई किसी तरह की तकलीफ लेकर उसके पास आये। वो पल भर में उसकी शल्य चिकित्सा करने को किसी और से नहीं आयुर्वेद के प्रणेता ऋषि धनवंतरी से कहता है। माइक पर आदेश देता है। इनको यहाँ से काटा जाए, यहाँ जोडा जाए, पट्टी कर दी जाए.... ओम शिव, इनकी बीमारी की स्मृतियाँ पीछे कर दी जाएं, बाकी चील कौओं को खिला दी जाए। माइक पर खड़े होकर अपनी पीड़ा साझा करने वाले उस बीमार व्यक्ति का आत्मविश्वास इतना बढ़ा दिया जाता है कि वो खुशी से सब के सामने कहे कि वो ठीक महसूस कर रहा है। बदले में हज़ारों स्वाहा!
ऐसे सभी बाबा की शक्लों में लुटेरे हर तरह से देश को लूट रहे हैं। आर्थिक, बौद्धिक तौर पर परेशान जनता को लूटा जा रहा है। ऐसी पागल जनता सुअर के बाड़े में तब्दील हो रही है। भक्ति भाव में लीन बेसुध होकर एक बड़े वोट बैंक में तब्दील हो रही है। अधिकांश कुपढु बाबाओं की जमात जमकर वसूली कर रही है। उगाही कर रही है। राजनेताओं की काली कमाई को सफेद करने का बड़ा माध्यम है ये देश में चलने वाले टैक्स फ्री आश्रम। समाज को आगे आना होगा। उन्हें समझना होगा। समझाना होगा। हर मर्ज को ठीक करने का दावा करने वाले बाबा के शक्ल में चिरकुट चिरंजी लाल को पहचानना होगा। उनसे बचना होगा। बचाना होगा।