सुशोभित-
पिछले दिनों ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में एक बहुत ही ख़ूबसूरत लेख पढ़ा। फिर सोचने लगा कि हमारे अख़बारों में वैसे लेख क्यों नहीं छपते। लेख बूढ़े, उम्रदराज़ दरख़्तों के बारे में था। वैसे बूढ़े, उम्रदराज़ दरख़्त- जो बहुत क़द्दावर भी हों। साइंस की ज़ुबान में इन्हें एल्डरफ़्लोरा और मेगाफ़्लोरा कहेंगे। लेखक जेरेड फ़ार्मर बतला रहे थे कि दुनिया में हज़ारों साल पुराने दरख़्त मौजूद हैं, लेकिन वो धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। हमें उन्हें बचाना चाहिए। क्यों?
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