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टोटल टीवी से जुड़े तमाम पत्रकारों की याद में / पंडित संदीप

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पंडित संदीप 


टोटल टीवी में काम करने वाले भूत और वर्तमान दोस्तों की याद में... 


इसमे सब है देखो तुम्हारा  नाम है क्या एक यादो की कविता अर्पित है


टोटल के टोटल स्टाफ 


कुछ चहक कर जो मिलते थे मिलेंगे 

कुछ हंस-हंसकर बातें करते थे फिर करेंगे

कुछ खुश होते थे देख कर खुश होंगे 

कुछ भौ ताने गढ़ते थे गढ़ेंगे जलेंगे 

कुछ जिन से कह ना सके अब कहेंगे 

कुछ जिन्हें जान  नहीं पाये जानेंगे कुछ नए-नए से हों कर फिर मिलेंगे

कुछ बदले से बदल कर आएंगे आतुरता है बस अब आलिंगन की 

उन सपनों को फिर फिर जीने की 

जब बांध कमर पर बोझ चले थे जीवन का समझ मोल चले थे 

वह नुक्ताचीनी तल्लफुश की बातें पीटीसी फोनों से मस्त मुलाकाते कथूरिया का पानीपती मुरब्बा नसीम की स्टोरी के अम्मी अब्बा विकास की पेंट पकड़ पीटूसी 

और नोएडा को कहना गुड़गांवा सी 

शालिनी के नाम पर नागिन लिख देना 

वो एमसीडी वाले सोलंकी का कैरा मैन कहना 

प्रदीप की पीटीसी वाली एक अलग टेप

परफ़ेक्ट के लिए भाई के सौ सौ टेक

Live के लिए सुबह कतार में लगना 

का बताये बहिन मस्टरवा का कच्छा में घुसना

कुछ vo करने की हसरत 

चन्दन सर का शीशा लगवाने की हरकत 

अरोड़ा जी का चुप चुप समझाना शरद नारायणर का हाजिरी दिखाना 

शैलेश सर की थी शान निराली 

राहुल पंडिता शब्दों की प्याली नवीन शर्मा थे बड़े कलाकार 

सेंगर साहब ने दिया नया आकार 

नीलम दुबे की पर्ची पर्ची का खेल शशि की टोपी सरवन का मेल

फिर आया केएम का राज

अपनी कोने पड़ गई खाट

सालवी की साधना ov गढ़ना

Gfx वालों का ताना-बाना बुनना मेहता सर थे बहुत असरदार

पवार की इलायची जायकेदार

मनचंदा का नोटो का झोला

टोटल ने बाज़ार में हल्ला बोला

रूबी का रौब ज्योति की शांति

करुणा कि कृपा याद है आतीI

कुलदीप का केला प्रेम भूल न जाना

भटनागर का कर के पछताना

तारा जोशी का अमिट मुकाम

अमित शुक्ला गीता प्रियंका का अद्भुत कामI

प्रीति पांडे का जुनून कुंदन का अभियान 

मनीष शुक्ला की स्क्रिप्ट स्टोरी तमाम 

राणा का चश्मा पूजा की एंकरिंग संतोष तिवारी का सटीक चित्रण 

कमल गौरी का गज़ब था तोता ज्ञान

सच टोटल फैमली एक बड़ी मधुशाला थी  

जहां सत्यम की एक मस्त पाठशाला थी

एक और था नाम बहुत दमदार प्रताप टोटल का पहला चौकीदार संजीत गंगा मुकेश बेहद थे खास यह देते थे मेरा मौके पर साथ 

एक ओझा मानकर मासूम की तिगड़ी 

राय तप्पन दा की भूजा पार्टी ओम मनोहर गांधी धर्मेंद्र ज्ञानेंद्र इनकी भी है बहुत याद सताती लाइब्रेरी के संजीव स्टोर का राक्षस

परवीन pcr मेरा परविंदर एडिटर

विकाश शर्मा और सनरिका का Becoming

टोटल का बस इतना ही मुझे याद है

ये मेरी  यादों की छोटी बरसात है

संदीप मेरे भाई जैसा आज भी साथ है

और जिन्हें भूल गया गलती माफ है।

एक मेरा साथी छूट गया वो कैसे?

अरे कहा मिलेंगे अनिल और चन्द्रशेखर जैसे।


(कुछ गलती तो माफी बुरा न मानो  6 की तैयारी)


 पंडित संदीप 


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