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भड़ासी डायरी : यशवंत सिंह

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प्रयागराज में आज का दिन…अजीत विक्रम सिंह उर्फ़ गुड्डू भाई के सौजन्य से जमाने बाद नेतराम की दुकान के ज़रिए इलाहाबाद की नमकीन आत्मा का कुछ अंश अपन के अंदर एक्टिवेट हुआ। सुबह सबेरे दिन की शुरुआत अगर नेतराम की सौ रुपये वाली चार पूड़ी तीन सब्ज़ी चटनी रायता युक्त प्लेट से हो और टॉपअप में सौ सौ ग्राम दही जलेबी मिल जाए तो पूरा दिन शुभ शुभ ही गुजरता है।

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तभी तो जाने माने वकील, चर्चित मानवाधिकारवादी और इविवि छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे एडवोकेट के के राय के यहाँ अपने केस की फाइल लेकर पहुँचा तो फ़ौरन टाइपिस्ट को बोल बोल कर याचिका तैयार करवा दिया।

बोनस में केके भाई के यहाँ ग़ज़ब सुस्वादु सांभर वड़ा मिला जिसका हींग फ्लेवर देर तक जीभ पर महसूस होता रहा।

कितना भी थका हारा उदास परेशान हो आदमी, इलाहाबादी स्वाद रगों में दौड़ते ही आँखें चमक से भर जाती हैं। आज छुट्टी के दिन केके रॉय के आवास पर लोगों के मिलने जुलने का ताँता लगा रहा। चाय की चुस्कियों के बीच इलाहाबादी बतकही ने वक्त को थाम-सा लिया।

मैं जब 1990 में इविवि पढ़ने गया था तो केके रॉय छात्रसंघ अध्यक्ष हुआ करते थे। ग़ज़ब क्रेज था केके भाई का। तब मैं उन्हें दूर दूर से देखा सुना करता था। मुलाक़ात आज पहली बार हुई। कहीं कोई दिखावा आडंबर नहीं।

गढ़ों-मठों को तोड़ने और समानता भाईचारा लाने के क्रांतिकारी तेवर से शुरू हुई के के राय की यात्रा में आज भी मनुष्यता सबसे ऊपर है। तभी तो इनके खुले जनता दरबार में आने जाने वालों का क्रम कभी भंग नहीं होता है। के के भाई सबसे बोलते बतियाते अपना काम भी करते कराते रहे। पीयूसीएल के माध्यम से केके भाई ने हज़ारों ग़रीबों पीड़ितों को न्याय दिलाया। हाईकोर्ट के धाकड़ वकील के के राय अब ख़ुद इलाहाबाद के एक बड़े नाम हैं।

इलाहाबाद की हवा में इन दिनों गर्मी बढ़ गई है। सबकी ज़ुबान पर एक ही क़िस्सा और उसकी ढेरों कहानियाँ। नया सस्पेंस ये कि सीसीटीवी में एक्शन में दिख रहा बंदा और झाँसी में मिट्टी में मिलाया गया युवक एक नहीं हैं… जैसा कि दावा है! एक का बाल छोटा है दूसरे का हमेशा बड़ा रहता है… इस मामले में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता लेकिन ऐसे दर्जनों सुने अनसुने अर्धसत्य एक दूसरे से होते हुए सिविल लाइंस से लेकर सोहबतिया बाग तक ज़ुबानी चाल से रुक रुक के लुक छिप के भटक रहे हैं।



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