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नीलगिरि पर्वतीय रेल

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 नीलगिरि पर्वतीय रेल (अंग्रेजी:Nilgiri Mountain Railway; तमिल: நீலகிரி மலை ரயில்), भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थित एक रेल प्रणाली है, जिसे 1908 में ब्रिटिश राज के दौरान बनाया गया था।[1] शुरूआत में इसका संचालन मद्रास रेलवे द्वारा किया जाता था। इस रेलवे का परिचालन आज भी भाप इंजनों द्वारा किया जाता है।[2] नीलगिरि पर्वतीय रेल, नवगठित सलेम मण्डल के अधिकार क्षेत्र में आता है। जुलाई 2005 में यूनेस्को ने नीलगिरि पर्वतीय रेल को दार्जिलिंग हिमालयी रेल के विश्व धरोहर स्थल के एक विस्तार के रूप में मान्यता दी थी और तब से इन्हें संयुक्त रूप से "भारत की पर्वतीय रेल"के नाम से जाना जाता है।[3] इसे यह मान्यता मिलने के बाद इसकी आधुनिकीकरण की योजना का परित्याग कर दिया गया। पिछले कई वर्षों से कुन्नूर और उदगमंडलम के बीच के खंड पर भाप के इंजनों के स्थान पर लिए डीजल इंजनों का प्रयोग किया जा रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इस खंड पर एक बार फिर से भाप इंजनों द्वारा रेलगाड़ी चलाने की मांग की है।[2]

युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
भारत की पर्वतीय रेल
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम
नीलगिरि पर्वतीय रेल से यात्रा करने पर नीलगिरि के शानदार दृश्य देखने को मिलते हैं।
देशभारत
प्रकारसांस्कृतिक
मानदंडii, iv
सन्दर्भ944
युनेस्को क्षेत्रएशिया-प्रशान्त
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख1999 (23 वां सत्र)
विस्तार2005; 2008

शाहरुख खान द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्म "दिल से"के प्रसिद्ध हिंदी गीत छैंया छैंया का फिल्मांकन इसी रेलवे की रेलगाड़ी की छत पर किया गया है।

नीलगिरि पर्वतीय रेल
Head station
0 kmमेट्टुपालयम(कोयंबटूर)
Stop on track
8 kmकालर
Station on track
13 kmएडर्ली
Stop on track
18 kmहिलग्रोव
Stop on track
21 kmरनीमीड
Stop on track
25 kmकटेरी रोड
Station on track
28 kmकुन्नूर
Station on track
29 kmवेलिंग्टन
Stop on track
32 kmअरुवंकाडु
Stop on track
38 kmकेत्ति
Station on track
42 kmलवडेल
End station
46 kmउदगमंडलम


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