दिल्ली से सबसे पहले किसने क्लीयर किया यूपीएससी इम्तिहान को / विवेक शुक्ल
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा के नतीजे आ गए हैं। पहले चार स्थानों पर रहे सफल कैंडिट्टेंस में से तीन दिल्ली यूनिवर्सिटी से हैं। पर हमें तलाश है दिल्ली से सबसे पहले इस इम्तिहान को क्रैक करने वालों की। हालांकि यूपीएससी की तरफ से इस तरह की कोई सूची तो तैयार की गई है। पर माना जाता है कि दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे वेद मारवाह ने 1956 में यूपीएससी की परीक्षा को क्लीयर किया था। वे संभवत: खाटी दिल्ली वाले पहले अभ्यार्थी जिसने यूपीएससी परीक्षा को क्लीयर किया था। वे खान मार्केट से सेंट स्टीफंस कॉलेज साइकिल पर ही जाते थे। वेद मारवाह का परिवार देश के बंटवारे के समय पेशावर से दिल्ली आकर बसा था। उन्हें 1989 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
इस बीच,जेएन दीक्षित भी पक्के दिल्ली वाले थे। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को 1958 में क्रैक किया था। वे हरकोर्ट बटलर स्कूल, मंदिर मार्ग तथा दिल्ली जाकिर हुसैन कॉलेज के स्टुडेंट रहे थे। जेएन दीक्षित भारत के विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी रहे। दिल्ली क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान वेंकट सुंदरम की बहन की शादी दीक्षित जी से हुई थी। दीक्षित जी का बचपन गोल मार्केट में बीता था।
नटवर सिंह से शुरू हुआ सिलसिलाK
अगर बात दिल्ली यूनिवर्सिटी की करें तो यहां से सबसे पहले यूपीएससी के इम्तिहान को क्लीयर करने वालों में कंवर नटवर सिंह थे। उन्होंने 1953 में यूपीएससी की परीक्षा को पास करके भारतीय विदेश सेवा को ज्वाइन किया था। वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे। वे सेंट स्टीफंस कॉलेज से थे। हालांकि वे दिल्ली से तो नहीं थे। वे यहां पढ़ाई करने के लिए आ गए थे। उनके बाद 1960 और 1970 के दशकों में मणिशंकर अय्यर, अमिताभ पांडे, राज भार्गव, हरदीप पुरी (अब केन्द्रीय मंत्री), नवीन चावला, एस.वाई.कुरैशी ( पूर्व चुनाव आयुक्त), नजीब जंग ( दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल), मीरा कुमार वगैरह ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की। मीरा कुमार विदेश सेवा में रहीं। वो मिरांडा हाउस से थीं। बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार की स्कूली शिक्षा भी दिल्ली में हुई थी। कुरैशी साहब के भाई अजीज कुरैशी को दिल्ली में कौन नहीं जानता। बेहद हैंडसम अजीज भाई भारत की फुटबॉल टीम से खेले। वे रंगकर्मी भी हैं। उन्हें आप शंकर मार्केट में यारों के साथ गप शप करते हुए देख सकते हैं। हरदीप पुरी सेंट एंथनी स्कूल से थे और अमिताभ पांडे मॉडर्न स्कूल में।
एस जयशंकर और उनके पिता
केन्द्रीय विदेश मंत्री एस. जय़शंकर धौला कुआं के एयर फोर्स स्कूल से हैं। उन्होंने 1977 में यूपीएससी के इम्तिहान को क्लीयर किया था। उनके पिता एस. सुब्रमण्यम 1950 बैच के आईएएस अफसर थे। पर उन्होंने चेन्नै में रहते हुए उपर्युक्त परीक्षा को दिया थे। वे तब मात्र 21 साल के थे। वे ज्ञान के सागर थे। वे विदेश और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ थे।
अशोक वाजपेयी दयाल सिंह कॉलेज से आईएएस
प्रख्यात कवि श्री अशोक वाजपेयी ने 1965 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को क्लीयर किया था। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से अंग्रेजी में एमए की ड्रिगी ली और उसके बाद दयाल सिंह कॉलेज में पढ़ाने लगे थे। अशोक वाजपेयी जी ने अध्यापन के दौरान यूपीएससी की परीक्षा क्रैक किया। इस बीच, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने 1968 में इस परीक्षा को पास करने के बाद तय किया कि वे वकालत के पेशे में रहेंगे। वे भी सेंट स्टीफंस कॉलेज में थे। सेंट स्टीफंस कॉलेज की श्रुति शर्मा ने पिछले साल यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया था। इस तरह से वह सेंट स्टीफंस कॉलेज के उन अनगिनत स्टुडेंट्स की सूची में शामिल हो गईं थीं जिन्होंने इस बेहद प्रतिष्ठित परीक्षा को क्रेक किया।आजकल रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी सेंट स्टीफंस कॉलेज से ही हैं। सेंट स्टीफंस कॉलेज में दशकों इतिहास पढ़ाते रहे मोहम्मद अमीन कहते थे कि यहां का अनुशासन से भरपूर माहौल यूपीएससी परीक्षा को क्लीयर करने क लिएहाज से बहुत आदर्श है।
धौलपुर हाउस की रौनक
देश को आजादी मिलने के बाद भारत सरकार ने यूपीएससी का दफ्तर गोलाकार धौलपुर हाउस में बनाने का निर्णय लिया। पहले शाहजहां रोड पर स्थित धौलपुर हाउस राजस्थान के राजघराने का आवास हुआ करता था। आजादी के फौरन बाद सरकार ने धौलपुर हाउस को टेकओवर कर लिया था। इसकी दीवार से सटा है प्रभु चाट भंडार। यहां पर कहा जाने लगा है कि जो अभ्यार्थी प्रभु की चाट का आनंद लेने से चूक जाते हैं, वे इंटरव्यू में भी सफल नहीं होते। शाहजहां रोड पर बीसेक साल पहले तक आज की तरह भारी ट्रैफिक नहीं चलता था। पहले प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम ऑनलाइन भी नहीं उपलब्ध नहीं रहते थे,इसलिए धौलपुर हाउस पर अभ्यर्थियों का सुबह-शाम मेला लगा रहता था। धौलपुर हाउस से पहले सिविल लाइंस स्थित मेटकाफ हाउस में आईसीएस की लिखित परीक्षा को पास करने वाले अभ्यार्थी इंटरव्यू के लिए बुलाए जाते थे।
धौलपुर हाउस से पहले मेटकाफ हाउस
धौलपुर से 10-12 किलोमीटर दूर सिविल लाइंस पर स्थित है मेटकाफ हाउस। भारत की नौकरशाही के लिए मेटकाफ हाउस का विशेष स्थान है। इसी इमारत में आयोजित होती थी आईसीएस परीक्षा और फिर उसमें उतीर्ण अभ्यर्थियों के इंटरव्यू। ये बातें देश की आजादी से पहले की है। अंग्रेजों ने 1854 में भारत के लिए फेडरेल पब्लिक सर्विस कमीशन की स्थापना की। पहले आईसीएस की परीक्षाएं लंदन में ही आयोजित होती थीं। पर पहले विश्व युद्ध के बाद गोरों को कुछ अक्ल आई। उन्होंने 1922 से आईसीएस की परीक्षाएं दिल्ली और इलाहाबादमें भी आयोजित करनी शुरू कीं। एक बार पंजाब कैडर के आईसीएस अफसर बदरूद्दीन तैयबजी ने बताया था कि वे अपना इंटरव्यू देने दरियागंज से मेटकाफ हाउस टांगे में बैठकर गए थे। उन दिनों दिल्ली में टांगे पर ही यहां से वहां जाते थे दिल्ली वाले। मेटकाफ हाउस में अब डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ),स्टेट बैंक और कुछ अन्य सरकारी दफ्तर हैं।
सरदार पटेल ने 21 अप्रैल, 1947 इसी मेटकाफ हाउस में आजाद होने जा रहे देश के पहले बैच के आईएएस और आईपीएस अफसरों को संबोधित करते हुए कहा था कि “उन्हें स्वतंत्र भारत में जनता के सवालों को लेकर गंभीरता और सहानुभूति का भाव रखना होगा।”