मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड। / विजय केसरी
मणिपुर में पिछले दिनों दिल को दहला देने वाली जो घटना घटी थी, इससे मानवता पूरी तरह लहूलुहान हो गई है। चाहे जो भी सामाजिक और राजनीतिक उपाय किए जाएं, इस जख्म को भरने के लिए सब के सब बेकार साबित होंगे। मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। जब मैं यह आलेख लिख रहा हूं, मणिपुर की हालात में कोई सुधार दिखता नजर नहीं आ रहा है, बल्कि जातीय दंगे अपने उफान पर हैं । लोग एक दूसरे के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और घरों में आग लगाने में लगे हुए हैं। मणिपुर राज्य सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है कि इस जातीय दंगे से प्रांत को मुक्त किया जाए, लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है। मणिपुर में जो जातीय दंगे हो रहे हैं, इसका समाधान राजनीति से ही संभव हो सकता है। जबकि मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की हुकूमत है। केंद्र में भी एनडीए की सरकार है। इसके बावजूद भी देंगे नहीं रुक रहे हैं । यह बड़ा अहम सवाल बनकर उभर रहा है।
मणिपुर निर्वस्त्र कांड पर प्रांत के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने जैसा बयान दिया है, यह काफी नहीं है । चूंकि वे इस प्रांत के मुख्यमंत्री हैं, प्रांत में इतनी बड़ी घटना घट जाती है , प्रांत की सरकार चुप्पी साध लेती है। इसका क्या मायने हैं ? मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेंद्र सिंह अपनी नैतिक जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं । मणिपुर निर्वस्त्र कांड के इतने दिन बीत जाने के बावजूद अपराधियों तक उनकी पुलिस क्यों नहीं पहुंच पाई ? यह भी बड़ा अहम सवाल है। क्या मणिपुर में जंगल का राज है ? किसने यह अधिकार दिया है कि दूसरे समुदाय के तीन असहाय लड़कियों को पकड़कर, निर्वस्त्र कर, दो लड़कियां के साथ सामूहिक बलात्कार कर घुमाया जाए ? यह दृश्य याद कर ही दिल दहल उठता ।
बिचारणीय बात यह है कि जिस समय यह घटना घट रही थी, भीड़ से तीनों लड़कियां मदद की गुहार लगा रही थी । बदले में भीड़ में शामिल कुछ लोग उन तीनों लड़कियां के अंग प्रत्यंग को छूकर अठ्टाहस प्रदर्शित कर रहे थें। भीड़ इन दृश्यों का मजा ले रही थी। भीड़ में से कोई एक व्यक्ति भी इस घटना का प्रतिकार करते हुए सामने नहीं आया। इससे प्रतीत होता है कि हमारा समाज कितना मृत हो गया है ? प्रांत में इतनी बड़ी यह घटना घट जाती है । कहीं से कोई विरोध के श्वर नहीं उभरते हैं । ऊपर से मणिपुर सरकार की चुप्पी । इस घटना ने लोकतंत्र को पूरी तरह लहूलुहान कर दिया है। इस घटना के बाद मणिपुर सरकार के मुख्यमंत्री वीरेंन सिंह को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं बनता है। केंद्र की एनडीए सरकार नैतिकता का दुहाई देती नजर आती हैं । क्या मणिपुर में तीन महिलाओं के निर्वस्त्र कांड पर उनकी नैतिकता कहां गई ? केंद्र सरकार को चाहिए कि इस कांड पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री को तत्काल उनके पद से हटाए जाए। साथ ही त्वरित पुलिसिया कार्रवाई करते हुए, इस कांड में शामिल सभी को दुष्कर्मियों को पकड़कर जेल की सलाखों में बंद किया जाए। दुष्कर्मियों के विरुद्ध शीघ्र कानूनी कार्रवाई कर फांसी की सजा दी जाए।
यह बात सभी जान रहे हैं कि मणिपुर में यह दंगे क्यों हो रहे हैं ? वर्षों से शोषित मैंतेई समुदाय के लोगों के लिए प्रांत की सरकार ने उनके विकास के लिए विधानसभा के द्वारा नए नियमों का प्रधान किया है। मेरी दृष्टि में मणिपुर सरकार ने भूमि पुत्र मैतेई समुदाय के लोगों के लिए एक बेहतर अवसर दिया है। इसके विरोध में कुकी और नाग मिलिशिया समुदाय के लोगों का इतना उग्र बन जाना किसी भी दृष्टि में उचित नहीं । अगर उन्हें नया नियम पसंद नहीं है। वे सभी अहिंसात्मक विरोध दर्ज कर सकते थे । वे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपनी बात रख सकते थे । लेकिन विरोध के लिए पूरे मणिपुर को जलाकर क्या मिला ? आज मैतेई समुदाय के लोग और कुकी, नाग मिलिशिया समुदाय के लोग एक दूसरे पर प्रहार करते नजर आ रहे हैं । दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं। दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और घरों को जला रहे हैं ।अब तक इस आंदोलन में 130 से अधिक लोगों की जानें चली गईं हैं। साठ हजार से अधिक लोगों को अपने घर बार छोड़कर दूसरे के घरों पर रहने को विवश होना पड़ रहा है।
मणिपुर हिंसा पर देशभर में राजनीति की जा रही है । यह किसी भी सूरत में अच्छी बात नहीं। पक्ष और विपक्ष दोनों अपने अपने राजनीतिक फायदे के लिए ब्यान दे रहे हैं। मणिपुर में स्थाई शांति कैसे स्थापित हो ? मणिपुर में लड़ रहे दोनों समुदायों के बीच शांति कैसे स्थापित हो ? इस मूल बात पर किसी का ध्यान ही नहीं है। 20 जुलाई को मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड का वीडियो जब वायरल हुआ, तब संसद में आवाजें गुजरने लगी। विपक्ष, मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड के बहाने सिर्फ और सिर्फ केंद्र को घेरने का काम कर रही है। केंद्र सरकार की विफलताओं को घेरने में लगी हुई है ।मणिपुर में स्थाई शांति कैसे स्थापित हो ? विपक्ष ने कोई भी ऐसा सुझाव नहीं दिया है । यह बेहद चिंता की बात है।
अब सवाल यह उठता है कि ढाई महीने के बाद मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड का वीडियो कैसे वायरल हुआ ? इतने दिनों तक इस विभत्स निर्वस्त्र कांड का वीडियो दबाकर क्यों रखा गया ? इसके पीछे कौन सा उद्देश्य निहित है ? संसद सत्र के प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले यह वीडियो वायरल कैसे हुआ ? ऐसे कई सवाल हैं, जो उठ रहे हैं । इन सवालों का जवाब भी ढूंढने की जरूरत है। मणिपुर के उच्चाधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने गुरुवार को होने वाले प्रदर्शन से ठीक एक दिन पहले प्रसारित किया।
बताया जा रहा है कि यह वीडियो इस वजह से वायरल किया जा रहा है, ताकि उस समुदाय की दुर्दशा को उजागर किया जा सके । आई टी एल एफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि महिला निर्वस्त्र कांड कांगपोकपी जिले की 4 मई की घटना है । ये समुदाय के लोग यह वीडियो वायरल कर फिर से मणिपुर को आग के हवाले कर देना चाहते थे । वे ऐसा करने में सफल भी रहे ।
मणिपुर देश का एक संवेदनशील प्रांत है। कुछ महीने से जातीय हिंसा से लहूलुहान है । मणिपुर की समस्या एक राजनीतिक समस्या है । पक्ष और विपक्ष दोनों को गंभीरतापूर्वक विचार कर स्थाई शांति के लिए एक राजनीतिक प्रयास करना चाहिए। मणिपुर महिला निर्वस्त्र कांड के सभी दुष्कर्मियों को शीघ्र गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि भारत के किसी भी प्रांत में कोई ऐसी घटना को अंजाम ना दे सके।
विजय केसरी ,
(कथाकार / स्तंभकार)र्
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