'ब्रोकर टाइप प्रोफेसर'सुनील शर्मा की बपौती बना DU यानी
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय में फरवरी 2022 से असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्तियों का खुला खेल चल रहा है. इस खेल में कुछ ‘ब्रोकर टाइप प्रोफेसर’ इस रूप में उभरकर सामने आये, जिन्होंने खूब पैसा कमा लिया, अपने सगे-सम्बन्धी एवं रिश्तेदारों को मिलाकर पंद्रह से पच्चीस लोगों को असिस्टेंट प्रोफेसर भी बनवा दिया है, उनके घर बीस से चालीस लाख की बीस-पच्चीस पेटियां एडवांस में पड़ी रहती हैं, कब किस पेटी के तहत किस कॉलेज में किसका नाम छप जाए, इसे बस वही परिणाम सामने आने से पहले ही बता देते हैं. ऐसा ही एक कुख्यात नाम सुनील शर्मा का है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष के साथ-साथ कॉलेजों के डीन, विभाग के प्रोफेसर्स एवं विभागाध्यक्ष का भी खासमखास है. अब ये डंके की चोट पर खुल्लम-खुल्ला अपनी पत्नी मंजू शर्मा का चयन ‘श्री अरविन्दो कॉलेज’ के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर करवा रहा है. इसकी धूर्तता देखिए परिणाम जारी होने से पहले ही दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के कार्यालय में इसका जश्न भी मना रहा है.
श्री अरविन्दो कॉलेज में हिंदी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर पर साक्षात्कार 04 मार्च 2024 शुरू होकर 09 मार्च 2024 तक चलेगा और 04 मार्च को ही सभी अभ्यर्थियों को पता चल चुका है कि सुनील शर्मा की पत्नी मंजू शर्मा का चयन हो रहा है। ऐसे में इस साक्षात्कर की क्या पारदर्शिता है और बिना गॉडफादर-गॉडमदर वाले अभ्यर्थी किस उम्मीद के साथ 09 मार्च 2024 तक साक्षात्कार देने जाएं?
कुख्यात ब्रोकर टाइप प्रोफेसर ‘सुनील शर्मा’ की पत्नी मंजू शर्मा में ऐसी कौन-सी योग्यता है, जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अपने ही शोधार्थियों में विकसित नहीं कर पाते हैं. जाहिर है कि सुनील शर्मा नौकरी बांटों गिरोह के सक्रिय सदस्य हैं. इसलिए एक्सपर्ट प्रोफेसरों की क्या बिसात, जो उनकी पत्नी मंजू शर्मा का चयन न करने का दुस्साहस कर सकें. सुनील शर्मा की पत्नी मंजू शर्मा के बारे में प्रचलित है कि वे इंटरव्यू में बोल नहीं पाती हैं, उनकी पीएचडी डिग्री सुनील शर्मा ने एक निजी विश्वविद्यालय से मोटी-रकम देकर खरीदी है. अरे भाई! उनकी कौन-सी उमर भागी जा रही है, हिंदी साहित्य की शब्दावली में उनके लिए यह कहा जा सकता है कि अभी तो वह नवोढ़ा युवती ही लगती हैं, कम से कम उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय से एक मोदी टाइप डिग्री ही दिला दिए होते, क्योंकि कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह इसी डिग्री का जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बन्ध में खुलेआम करते हैं और इससे भी हास्यास्पद यह है कि मोदी को पढ़ाने वाले पांच प्रोफेसर नहीं मिलेंगे और न ही मोदी को अपने पांच प्रोफेसरों के नाम याद होंगे.
सुनील शर्मा की ब्रोकरी का ही कमाल है कि जो लिस्ट श्री अरविन्दो कॉलेज से चलकर डूटा कार्यालय तक आयी है, उसमें उनकी पत्नी मंजू शर्मा का नाम शामिल है. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने 100वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर ठीक ही कहा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों में साहस का संचार करता है. हमें इसी साहस के साथ ‘ब्रोकर टाइप प्रोफेसरों’ द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय में फैलाये जा रहे ब्राह्मणवादी भ्रष्टाचार को उजागर करते रहना है.
इसके साथ ही साथ हम दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह से माँग करते हैं कि वे दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों एवं कॉलेजों से जुड़े सभी विज्ञापनों में यह स्पष्ट मेंशन कर दें कि इनमें केवल वही आवेदन करें, जो किसी प्रोफेसर के बेटा-बेटी, दामाद-बहू, साला-साली, भाई-भतीजा एवं ‘आज शाम घर पर/फ्लैट पर/पहाड़ी टूर पर मेरे साथ चलना, परमानेंट हो जाओगी’ वाक्य पर मजबूरन आँसू बहाते हुए ‘वन नाइट स्टैंड’ अपनाने वाली शोध-छात्राएं एवं युवतियाँ जब वैचारिक, चारित्रिक एवं नैतिक पतन करते हुए ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ का सफ़र तय करेंगी तभी उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जाएगा.