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अनिल कुमार बैनिवाल
गावों से लेकर शहरों तक, झोपड़ियों से लेकर राजमहलों तक तथा धरती से लेकर अंतरिक्ष तक सूचना ने नई तकनिकों के सहारे हर जगह अपने पांव फैला दिए है । सूचना तकनिकी के क्षेत्र मे टेलिफोन, मोबाईल, रेडियो व टेलिविजन ने जिस नये युग का श्री गणेश किया कम्पयूटर के आगमन ने उसमें क्रान्ति ला दी । रेड़ियो, टेलिविजन व मोबाईल जैसे सशक्त संचार माध्यमों के पश्चात् एंव लम्बे अन्तराल तक गहरी नींद मे सोये संचार को जगाने का बीड़ा कम्पयुटर ने बखुबी उठाया है। संचार के विस्तृत क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ती करने के लिए तीन सूक्ष्म शब्दों ‘डब्लयू डब्लयू डब्लयू‘ ने संचार की गति को अत्यधिक तीव्र कर दिया । एक उंगली के इशारे पर मिलों की दूरियों को पलक झपकने के साथ ही तय कर सूचना क्रांति ने एक नये युग का सूत्रपात किया । कहा जाता है कि वर्तमान में वह व्यक्ति सबसे श्रेष्ठ है जिसके पास ज्यादा सूचनाएं हैं और सूचना आदान प्रदान करने की संसार की सबसे बड़ी कडी है इन्टरनेट ।

1969 मे जब अमेरिका रक्षा विभाग ने कुछ कम्पयूटरों को जोडकर एक नेटवर्क तैयार किया तब शायद उन्हे यह अनुमान नही था कि उनके द्वारा बोया गया यह अदना बीज एक दिन सम्पूर्ण विश्व को वट वृक्ष की भांती अपनी छायां से ओतप्रोत कर देगा।
संचार के सबसे शक्तिशाली व तीव्र माध्यम के रूप मे इन्टरनेट ने संचार के सभी परम्परागत माॅडलों व प्रक्रियाओं कों गोण बना दिया है। विश्व संचार की इस नई तकनीक ने हमें अपना दास बना लिया है और इसी कारण इंटरनेट में किसी भी प्रकार का व्यवधान हमें चिंतित कर देता है । अगर कहा जाए कि आण्विक शक्ति के विकास के बाद इंटरनेट विश्व की सबसे बड़ी उपलब्धि है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
पिछले कुछ समय तक हमारे पास सूचना के तीन माध्यम थे - पत्र-पत्रिकाएं, रेड़ियो और टेलिविजन परन्तु अब कलम विहिन पत्रकारिता के रुप में साइबर जर्नलिजम का अविर्भाव हुआ है। जिस समाचार के लिए कुछ समय पहले तक घन्टों इंतजार करना पड़ता था, वह अब पल भर में हमारे दृश्य पटल पर होता है। इसे विस्तार से पढ़ा भी जा सकता है तथा संग्रहित भी किया जा सकता है । इसकेे द्वारा रोजमर्रा के रूटिन समाचारों से लेकर सिनेमा, फैशन, जीवनशैली, शिक्षा, समाज, विज्ञान, रहस्यरोमांच से लेकर ज्योतिष तक सभी विषयों पर ताजा तथा उपयोगी सामग्री प्राप्त की जा सकती है । महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय समाचार पत्रों के इन्टरनेट संस्करणों ने एक नई प्रणाली ई-जर्नलिजम की शुरूआत की है ।
एक सूचना को विश्व के कोने कोने मे पहुंचाने के लिए एक संदेश एक भाषा से दुसरी, दुसरी से तीसरी और तीसरी से चैथी भाषा की गोद मे कूदता हुआ विश्व के सभी उन्नत भाषाओं की गोदे मे खेलने लगा है । सात हजार वर्ष पूर्व सांकेतिक भाषा के रूप में संचार के प्रयोग को भाषा रूपी साधन ने अपनी शरण देकर सार्थक बनाया । भारत ने इन्टरनेट पत्रकारिता मे लगभग दस साल पहले दस्तक दी । कुछ समय पहले तक जहां हमें अपनी समाचार पढ़ने सम्बंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू समाचार पत्र, समाचार सुनने के लिए रेडियो तथा समाचार देखने के लिए टेलिविजन पर निर्भर रहना पडता था वहीं अब समाचार पढ़ने, सुनने व देखने का एक स्थान इन्टरनेट समाचार पोर्टल के रूप मे विकसित हो चुका है । इन्टरनेट पत्रकारिता पर काफी लम्बे समय तक अग्रेजी भाषा का कब्ज़ा रहा है । परन्तु गत पांच-छह वर्षों से हमारी मातृ भाषा हिन्दी का प्रयोग समाचार पोर्टल के रूप मे किया जाने लगा है ।
’’नई दुनिया’’ अखबार द्वारा ’’वेब दुनिया’’ के नाम से हिन्दी भाषा मे पहला इन्टरनेट पोर्टल शुरू होने के साथ ही हिन्दी समाचारों का वेबकरन हुआ । इसके पश्चात् ’’नेट जाल’’ नामक ई समाचार पोर्टल ने अपनी उपस्थिती इन्टरनेट पर दर्ज कराई । हिन्दी समाचार पोर्टल के बढ़ते आकर्षण को देखते हुए कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे गूगल, रेडिफ, बी.बी.सी., सत्यम इन्फोलाइन तथा याहू जैसे बड़े-बड़े पोर्टलों ने भी हिन्दी समाचार सेवा शुरू की ।
इंटरनेट समाचार सेवा को अपनी प्रतिष्ठा का प्रतिक मानकर अधिकतर हिन्दी समाचार पत्रों ने इंटरनेट समाचार पोर्टल शुरु किए। अभी हाल ही में याहू व जागरण के मध्य हुए करार ने हिन्दी समाचार पोर्टल के भविष्य को चार चांद लगा दिए है। हमारी मातृ भाषा में ताजा तरीन समाचारों से लैस वेबसाइटों ने समाचारों की रुपरेखा को नया आयाम प्रदान किया है। हिन्दी समाचार पोर्टल के रुप में जागरण डाॅट काॅम ने विश्व की प्रमुख समाचार वेबसाइटों में उच्च स्थान पाकर भारत के मस्तक को और उंचा कर दिया है ।
प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक ट्रब्यून, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका, नवभारत टाइम्स, हिन्दी मिलाप, नई दुनिया, स्वतन्त्र चेतना, प्रभा साक्षी के अतिरिक्त समाचार चैनलों आजतक, एन.डी.टी.वी., सी.एन.बी.सी. आवाज़, टोटल टीवी, आइबीएन सेवन, आदि ने भी हिन्दी इन्टरनेट समाचार पोर्टलों के माध्यम से हिन्दी का मान सम्मान बढाया है।
वास्तव मे सूचना प्रौद्योगिकी और आधुनिक संचार क्रांति के इस युग मे यदि हम यह स्वीकार कर लें कि भारत की एक सम्पर्क भाषा आवश्यक है और वह केवल हिन्दी हो सकती है तो हिन्दी उस चुनौती का सामना करने मे समर्थ हो जायेगी जो उसके सामने मुंह बाऐ खड़ी है । इन्टरनेट एक ऐसा मंच है जहां से हम अपनी मातृ भाषा को अंर्तराष्ट्रीय पटल पर चमका सकते हैं।
वर्तमान समय में हिन्दी के लगभग 2500 दैनिक तथा 10000 के आस पास साप्ताहिक समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं परन्तु इन समाचार पत्रों में से दो दर्जन के भी इन्टरनेट के संस्करण नही है । चैथी दुनिया तथा पंचजन्य के अलावा अन्य कोई साप्ताहिक समाचार वेब साइट प्रचलन में नहीं है। विडम्बना की बात तो यह है कि इनमें से अधिकतर समाचार पत्रों की वेबसाइटों पर अखबारों की खबर ही ज्यों की त्यों परोसी जाती है । इन वेब साइटों में समाचारों को अपडेट करने वाले वेब पोर्टलों की संख्या न के बराबर है । इसका एक सीधा कारण यह है कि इन वेब साइटों को विज्ञापन के रूप मे मिलने वाली कमाई बहुत कम है । बाज़ारवाद व प्रतिस्प्रद्या की दौड़ में धन के बिना इन्टरनेट पोर्टल को समय के साथ चलाना काफी कठिन है ।
समाचार पोर्टलों पर समाचार पढ़ने के साथ-साथ कुछ अंतर्राष्ट्रीय समाचार संगठनों ने हिन्दी मे समाचार सुनाने की सुविधा भी प्रदान की है । इसमें आल इडिया रेडियो, बी.बी.सी. हिन्दी व वाइस आफ अमेरिका का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है ।
जहां तक समाचार सुनने के साथ देखने का सवाल है विभिन्न हिन्दी चैनलों की साइट पर महत्वपूर्ण समाचारों के विडियो देखे भी जा सकते है । इनमें आजतक, आई.बी.एन.सेवन,एन.डी.टीवी आदि के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं । इन चैनलों की साइट पर फ्लैश फाइल के रूप में विडियो समाचार उपलब्ध है ।
दुनिया भर में हिन्दी की महत्वपुर्ण समाचार वेब साइटों से समाचार एकत्रीत करके एक स्थान पर उपलब्ध करवा कर गुगल, सीफी व याहू ने पाठक का काम आसान कर दिया है। इन तीनों संगठनों की समाचार पोर्टल पर महत्वपुर्ण आॅनलाइन समाचार साइटों के खण्ड बने होते है जिन्हें पाठक अपनी पसंद के अनुरुप मुख्य पृष्ठ पर ही व्यवस्थित कर सकते है।
हिन्दी पत्रकारिता से जुडें विभिन्न आॅनलाइन संस्करणों के समाचार अपनी पसंद के अनुरुप आर.एस.एस. यानी ‘रियल सिंपल सिंडिकशन’ की सहायता से अपनी निजी वेब साइट, ई-मेल अथवा ब्लाग पर एकत्रीत कर पढा, सुना व देखा जा सकता है। इन समाचार साइटों से अपने मोबाइल पर अपडेट समाचार संदेश प्राप्त किया जाना हमारी त्वरित सूचना पाने की इच्छा की पूर्ती करता है।
एक लघु शोध के द्वारा जब यह जानने का प्रयास किया गया कि क्या लोग इन्टरनेट पर हिन्दी समाचार पत्रों को पढ़ते है तो स्तब्ध करने वाले तथ्य सामने आए ।
जो लोग (60 प्रतिशत ) रोजाना कम से कम 1 से लेकर 3 घण्टे तक इंटरनेट का इस्तेमाल करते है, उनमें से केवल 7 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर समाचार पढ़ते है, पर हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की सख्या 4 प्रतिशत पाई गई। हिन्दी पत्रकारिता के लिए सुखद बात यह है कि यह संख्या अंग्रेजी समाचार पाठकों से ज्यादा है। ई-समाचार पढ़ने वाले लोगों में से अधिकतर ने माना कि वे शेयर बाजार के भाव जानने के लिए इंटरनेट समाचार पत्रों का इ

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि भले ही इंटरनेट पर समाचार पत्रों को कम पढा जाता है परन्तु काफी अल्प समय मे हिन्दी के ई-समाचार पत्रों ने जिस प्रकार से सफलता के नये प्रतिमान स्थापित किये है, उससे हिन्दी पत्रकारिता के इस नये रूप का भविष्य अवश्य ही उज्जवल होगा । परन्तु साथ ही साथ ई-जर्नलिज्म का विकास प्रिंट मीडिया के लिए भी खतरनाक हो सकता है । ब्रिटेन व अमेरिका मे उनके प्रिंट समाचार पत्र की बजाए ई-समाचार पत्र के प्रयोगकर्ता ज्यादा होना वहां के मीडिया जगत के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारत मे ऐसी स्थिती ना आये इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए ताकि वेब पत्रकारिता से धनार्जन भी किया जा सके , साथ ही साथ वेब समाचार पत्रों को ज्यादा आकर्षक, विचारशील व ताजा सूचनाओं के द्वारा समयानुकूल बनाये जाने की आवश्यकता है । समाचार पत्रों के प्रिंट संस्करणों की ओर देखें तो वहां भी हिन्दी समाचार पत्रों खासकर दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण देश के शीर्ष समाचार पत्रों के रूप में उभरे है । इन्होने अंग्रजी के धुरंधर समाचार पत्रों को भी पटखनी दी है ।
मीडिया विशेषज्ञों की मानें तो अंग्रेजी पत्रों के प्रसार में कमी का एकमात्र कारण इन पत्रों की कवरेज प्रायः राष्ट्रीय विषयों तक सीमित रहना है। इसका सीधा फायदा हिन्दी पत्रकारिता के प्रिंट व वेब संस्करण उठाते नजर आ रहे हैं जो राष्ट्रीय मुदों के साथ-साथ प्रादेशिक व स्थानिय समाचारों को कवरेज दे रहे हैं। हिन्दी वेब पत्रकारिता की कुछ प्राथमिक समस्याओं का समाधान हो जाए तो यह अत्यधिक सकारात्मक भविष्य का उद्घाटन कर सकती है।
- पहला यह कि हिन्दी समाचार वेबसाइट का अंग्रजी समाचार की साइटों की तरह अपडेशन।
- दुसरा इसके द्वारा अतिरिक्त आय प्राप्त होने के उपाय।
- तीसरा ई-पत्रों हेतू अलग से विज्ञापन व मार्केटिंग इकाई का गठन।
- चैथा प्रशिक्षित लोगों का चयन।
- पांचवा अंग्रजी समाचार पत्रों की तरह ऐसे केन्द्रिय (एकमात्र) फोेन्ट का चयन जिससे एक फोन्ट का इसतेमाल करके हिन्दी समाचार साइटों का इस्तेमाल किया जा सके। क्योंकि वर्तमान में प्रत्येक हिन्दी वेबसाइट का फोंट ( अक्षर ) एक-दुसरे से अलग है।
इसके अतिरिक्त वेब समाचार पत्र को ज्यादा रचनात्मक, शिक्षाप्रद व सुचनात्मक बना कर इसके रास्ते में आने वाले पत्थरों को समय रहते हटाया जा सकता है ।
लेखक : अनिल कुमार बैनिवाल
व्यख्याता, शाह सतनाम जी ब्वायज कालेज, सिरसा