इन्टरनेट मार्केटिंग
प्रस्तुति-- मनीषा यादव, हिमानी सिंह
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
ऑनलाइन विज्ञापन जिसे की इन्टरनेट विज्ञापन भी कहा जाता है, इन्टरनेट के माध्यम से विज्ञापनों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाती है। इसके अंतर्गत ई मेल मार्केटिंग, सर्च इंजन मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग, विभिन्न प्रकार के दृश्य मीडिया विज्ञापन (वेब बैनर विज्ञापन भी शामिल) तथा मोबाइल विज्ञापन आदि आते हैं। विज्ञापन का यह साधन बहुत ही सशक्त है जिसका उपयोग सही योजना बनाकर किये जाने पर इसके परिणाम बहुत ही सकारात्मक आते हैं। इसके क्षेत्र तथा लक्ष्य लोगों के निर्धारण व उचित स्थान के लिए चुनाव में इन्टरनेट मार्केटिंग विशेषज्ञों की सहायता ली जाती है।[1]ऑनलाइन विज्ञापन व्यापार का बहुत ही बड़ा क्षेत्र है तथा यह इंडस्ट्री बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। २०११ के आंकड़ों की माने तो इन्टरनेट विज्ञापन नें यूनाइटेड स्टेट्स में होने वाले टी.वी. विज्ञापनों को कहीं पीछे छोड़ दिया।[2]
इतिहास
हालाँकि शुरुआती दिनों में इन्टरनेट पर विज्ञापन की अनुमति नहीं थी उदहारण के लिए अरपानेट एवं एन-ऍफ़-एस नेट, ऐसे पश्चात नेट सेवा प्रदाताओं की इस सन्दर्भ में स्वीकरणीय नीतियां थीं जिन्होनें व्यापारिक प्रयोजनों से इन्टरनेट के प्रयोग पर लगाम लगा दी। ई मेल, जो की ऑनलाइन विज्ञापन के लिए पहला सर्वमान्य साधन था, बाद में धीरे - धीरे बहुत अधिक प्रयोग में आने लगा तथा फिर इस प्रकार के ई मेल्स को स्पैम नाम दे दिया गया। स्पैम मेसेज का पहली बार बहुत बड़े स्तर पर प्रेषण १९९४ में एंड्रूज विश्व विद्यालय के सिस्टम एडमिन के द्वारा किया गया था, उसने सभी यूज़नेट समाचार ग्रुप्स पर इसे पोस्ट किया था।[1][3][4]प्रेषण माध्यम
इन्टरनेट पर विज्ञापनों के लिए निम्न साधनों का प्रयोग किया जाता है-- दृश्य विज्ञापन
- वेब बैनर विज्ञापन
- फ्रेम एड
- पॉप अप/ पॉप अंडर विज्ञापन
- फ्लोटिंग विज्ञापन
- एक्स्पन्डिंग विज्ञापन
- ट्रिक बैनर
- इंटरस्टिटियल विज्ञापन
- टेक्स्ट विज्ञापन
- सर्च इंजन विज्ञापन
- सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन
- स्पोंसर्ड सर्च
- सोशल मीडिया मार्केटिंग
- मोबाइल विज्ञापन
- ईमेल विज्ञापन
- चैट विज्ञापन
- ऑनलाइन क्लासीफाइड विज्ञापन
- एडवेयर
- पूरक मार्केटिंग
भुगतान माध्यम
विज्ञापनकर्ता तथा पब्लिशर्स विज्ञापन करने के बदले किये जाने वाले भुगतान को मापने के लिए कई प्रकार की तकनीकों का प्रयोग करते हैं जो कि निम्नवत हैं-- भुगतान प्रति माइल
- भुगतान प्रति क्लिक
- भुगतान प्रति प्रदर्शन
ऑनलाइन विज्ञापन के लाभ
ऑनलाइन विज्ञान के कई लाभ होते हैं। इन विज्ञापनों से जहाँ लागत में कमी आती है वहीँ पर इनकी पहुँच को बड़ी ही आसानी से नापा जा सकता है। इनको उपभोक्ताओं की रूचि के अनुरूप ढालना एवं परिवर्तित करना अपेक्षाकृत रूप से अधिक आसान रहता है वहीँ पर लक्ष्य उपभोक्ताओं का निर्धारण करने में भी खासी मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। ऑफलाइन विज्ञापनों की तुलना में इनकी गति तथा कवरेज भी बहुत ही त्वरित होती है।[5][6]नियम कायदे
सामान्य तौर से ग्राहक सुरक्षा नियम ऑफलाइन विज्ञापनों की तरह ऑनलाइन विज्ञापनों पर भी लागू होते हैं। अलग अलग देशों नें इनके लिए अलग अलग व्यावहारिक नियमावलियां निकाली हैं।[1]सन्दर्भ
- <"आई ए बी इन्टरनेट एडवरटाईजिंग रेवेनु रिपोर्ट: 2012 फुल इयर रिजल्ट्स". आई ए बी. १२ जून २०१३.
- , नीरो (९ मार्च २०१३), गोंजालेस (उल्लिखित १४ जून २०१३). "हाफ ऑफ़ डिसट्रक्टनोइड्स रीडर्स ब्लाक आवर एड्स . नाउ व्हाट ?". डिसट्रक्टनोइड्स.
- , ब्रैड (२००८), टेम्पलटन (उल्लिखित १४ जून २०१३). "रिफ्लेकशन्स ओन दी २५थ एनिवर्सरी ऑफ़ स्पैम". टेम्पलटन.
- "एन-ऍफ़-एस नेट". लिविंग इन्टरनेट.२०११. उल्लिखित २५ जून २०१३.
- शिन, (सितम्बर २०१२), हु, यू ; (उल्लिखित जून २०१३). "परफॉरमेंस बेस्ड प्राइसिंग मॉडल्स इन ऑनलाइन: कास्ट पर क्लीक वर्सेस कास्ट पैर एक्शन". लिविंग इन्टरनेट.२०११.
- "इंटरनेट मार्केटिंग सर्विसेज". सुपरमिंड डॉट कॉम.