प्रस्तुति- डा. ममता शरण
अन्य प्रयोग हेतु, रामनगरदेखें।
रामनगर | |
— city — | |
समय मंडल:आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | ![]() |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | वाराणसी |
जनसंख्या | 39,941 (2001 तक ) |
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) | • 64 मीटर (210 फी॰) |

अनुक्रम
रामनगर की रामलीला
यहां दशहरात्यौहार खूब रौनक और तमाशों से भरा होता है। इस अवसर पर रेशमी और ज़री के ब्रोकेड आदि से सुसज्जित भूषा में काशी नरेश की हाथी पर सवारी निकलती है और पीछे-पीछे लंबा जलूस होता है।[1]फिर नरेश एक माह लंबे चलने वाले रामनगर, वाराणसीकी रामलीला का उद्घाटन करते हैं।[1]रामलीला में रामचरितमानसके अनुसार भगवान श्रीरामके जीवन की लीला का मंचन होता है।[1]ये मंचन काशी नरेश द्वारा प्रायोजित होता है अर पूरे ३१ दिन तक प्रत्येक शाम को रामनगर में आयोजित होता है।[1]अंतिम दिन इसमें भगवान राम रावणका मर्दन कर युद्ध समाप्त करते हैं और अयोध्यालौटते हैं।[1]महाराजा उदित नारायण सिंहने रामनगर में इस रामलीला का आरंभ १९वीं शताब्दीके मध्य से किया था।[1]सरस्वती भवन
रामनगर किले में स्थित सरस्वती भवन में मनुस्मृतियों, पांडुलिपियों, विशेषकर धार्मिक ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह सुरक्षित है। यहां गोस्वामी तुलसीदासकी एक पांडुलिपि की मूल प्रति भी रखी है।[1]यहां मुगल मिनियेचर शैली में बहुत सी पुस्तकें रखी हैं, जिनके सुंदर आवरण पृष्ठ हैं।[1]व्यास मंदिर, रामनगरप्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब वेद व्यासजी को नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पायी, तो उन्होंने पूरे नगर को श्राप देने लगे।[1]उसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वतीएक द पति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि महोदय अतीव प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल ही गये।[1]इसके बाद शिवजी ने व्यासजी को काशी नगरी में प्रवेश निषेध कर दिया।[1]इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है।[1]
भूगोल
रामनगर
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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