#शख्सियत ( प्रेरक व्यक्तित्व ) / डॉ. सुरेश्वर त्रिपाठी
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25 सितंबर 2021- शनिवार की शाम दिल्ली से अपनी स्कूटी द्वारा मेरे अग्रज व अभिन्न मित्र ,काशी हिंदू विश्वविद्यालय ,वाराणसी के डॉ. सुरेश्वर त्रिपाठी जी का आगरा मेरे आवास पर आना हुआ । मित्रों और जनमानस में अपनी यायावरी प्रवृत्ति के कारण अत्यंत लोकप्रिय डॉ. त्रिपाठी लगभग चार दशक से प्रकृति ,ग्रामीण जीवन एवं वन्य जीवन (विशेषकर पक्षियों का छायांकन) पर काम करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं । बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी मोहल्ला अस्सी ,वाराणसी के सुप्रसिद्ध प्रत्रकार ,लेखक ,पर्यावरण के सजग प्रहरी एवं उत्कृष्ट छायाकार से एक लंबी अवधि के बाद मिलना मेरे लिए अत्यंत हर्षदायक व आह्लादकारी रहा ।
★ सृजन मूल्यांकन का छठा अंक डॉ. सुरेश्वर त्रिपाठी पर ही केंद्रित है । जिसका शीर्षक है :- एक उपेक्षित नायक
उन्होंने मुझे भेंट किया ।
★ मैंने #भावक पत्रिका के "कुंभ विशेषांक"के दोनों अंकों और सौरत्न माला श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित पं.विद्यानिवास मिश्र पुस्तक भी उन्हें भेंट किया । कुंभ विशेषांक में आपका एक आलेख भी प्रकाशित हुआ है ।
★ डॉ. सुरेश्वर के चार कथा- संग्रह हैं:-
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1- गीली रेत का घरौंदा
2- बंद होठों की चित्कार
3- मैं सावित्री नहीं
4- रतनपुरा की बसंती
★ कविता संग्रह :-
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1- लहरें सुनाती हैं लोरी
★ यात्रा वृत्तांत :-
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1- मैं हवा हूँ - भाग 1
★ आपकी रचनाओं व प्रकाशित साहित्य के ऊपर एक एम.फिल. उपाधि भी दी जा चुकी है ।
★ भ्रष्ट पत्रकारिता एवं
साहित्य के ख़िलाफ़ 1993 से "काशी प्रतिमान"नामक पाक्षिक पत्रिका का प्रकाशन करके पीत पत्रकारिता के ख़िलाफ़ आंदोलन की शुरुआत भी किया ।
आपकी कविताएं ,कहानियाँ एवं विविध विषयों पर आलेख भी प्रकाशित होते रहते हैं ।
मैं आराध्य बाबा विश्वनाथ जी से आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायुष्य हेतु प्रार्थना करता हूँ । !! महादेव !! 🌹🙏🌹