ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी...
राजधानी दिल्ली 27 जनवरी 1963 को कड़ाके की सर्दी से दो- चार हो रही थी। इसके बावजूद नेशनल स्टेडियम ( अब दादा ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में हजारों लोग एकत्र थे। उस दिन नेशनल स्टेडियम में चीन के साथ हुई जंग में शहीद हुए जवानों की याद में एक संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उस जंग में उन्नीस रहने के कारण देश हताश-निराश था।
शाम करीब 5 बजे जब लता मंगेशकर ने कवि प्रदीप का लिखा अमर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी...
'गया तो वहां उपस्थित अपार जन समूह के साथ-साथ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की आँखें भी नम हो गयीं थीं। दिल्ली ने इससे पहले लता मंगेशकर को किसी कार्यक्रम में गाता हुआ नहीं देखा था। लता जी ने सी.रामचंद्र के संगीत पर जैसे ही गाना शुरू किया था, तो स्टेडियम का मंजर देखने लायक था। दिल्ली वालों की आँखों से आंसुओं की अविरल धारा बहने लगी थी। कुछ पलों तक के लिए तो स्टेडियम में शांति छा गई थी। फिर वहां पर देश भक्ति के कुछ देर तक नारे लगे और दिल्ली वाले अपने घरों की तरफ निकलने लगे।
दिल्ली में कहां रहती थीं लता मंगेशकर
भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका लता मंगेशकर का आज 28 सितंबर को जन्मदिन है। उनका जन्म 1929 में इंदौर में हुआ था। लता मंगेशकर ने राजधानी में राज्यसभा के नामित सदस्य के रूप में सरकार से मिले सरकारी बंगले को लेने से इंकार कर दिया था।
उनके पास विकल्प था कि वे फिरोजशाह रोड या कोपरनिक्स मार्ग में से किसी एक जगह पर बंगला ले लें। इसके अलावा, भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर ने 6 साल तक सांसद रहने के दौरान वेतन-भत्तों के चेक भी नहीं लिए। वह साल 1999 से 2005 तक राज्यसभा की मनोनीत संसद सदस्य रही थीं। इस दौरान उन्होंने न तो वेतन लिया और न ही भत्ते। जब उन्हें चेक भेजे गए तो वहां से वापस आ गए।
लता मंगेशकर ने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया है। जानकारों ने बताया कि लता मंगेशकर अपने दिल्ली प्रवास के दौरान डोगरी की लेखिका पदमा सचदेव के बंगाली मार्केट स्थित घर में भी रहीं। दोनों में बहुत घनिष्ठ संबंध थे।
लता मंगेशकर का एहसान दिल्ली पर
लता मंगेशकर दिल्ली में गुजरे साठ सालों से आ रही हैं। लता मंगेशकर ने 1983 में राजधानी के इंद्रप्रस्थ स्टेडियम में अपने पसंदीदा गीत सुनाकर दिल्ली को कृतज्ञ किया था। उस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने किया था ताकि कपिल देव के नेतृत्व में वर्ल्ड कप क्रिकेट चैंपियन बनी भारतीय टीम के खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया जा सके। तब तक बोर्ड की माली हालत कोई बहुत बेहतर नहीं थी।
लता जी ने यहां कार्यक्रम पेश करने के बदले में एक पैसा भी नहीं लिया था। वह बोर्ड के उस वक्त के अध्यक्ष एन.के.पी. साल्वे के आग्रह पर आईं थीं। साल्वे साहब सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील हरीश साल्वे के पिता थे।
इस बीच,जब से उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हुआ तो फिर वह संभवत: इधर नहीं आईं। वह जब राज्यसभा सदस्य थीं तब ही उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। यह बात साल 2001 की है। उन्हें पदमा भूषण 1969 में, पदमा विभूषण 1999 में और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार 1989 में मिल गया था। जाहिर है, वह इन सब पुरस्कारों को लेने के लिए भी राजधानी आती रहीं।
आप कह सकते हैं कि लता जी के आजाद भारत के सभी प्रधानमंत्रियों से व्यक्तिगत संबंध रहे। वे इनसे कभी ना कभी दिल्ली में अवश्य मिलीं। सब प्रधानमंत्री भी उनसे मिलकर उपकृत हुए। Navbharatimes
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PICTURE :LATA JI IN NATIONAL STADIUM