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Channel: पत्रकारिता / जनसंचार
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गांवों का अजायबघर

HomePoliticsEconomyCinemaMusingsTravelSociety & CultureHumourAboutपी साईंनाथ ने बनाया गांवों का अजायबघरPosted by: Ravish Kumar 4 days agoएक सुखद बदलाव ने दस्तक दी है और हम आप हैं कि आहट से बेख़बर...

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पत्रकारों के पत्रकार संजीव भानावत के लिए दो शब्ज

महापत्रकार संजीव भानावत के प्रति दो शब्द  Anami Sharan Babal  दुनिया में हंसना सबसे कठिन होता है सर मगर आप हंसते भी है और जग को हंसाने और जागरण करने की अनवरत चेष्टा भी करते है। आपके साथ मेरा परिचय का...

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मोदी live / संजय द्विवेदी

होमकिताबों की दुनियाबुक रिव्यूख़बरें विस्‍तार सेबुक रिव्यू: आम चुनाव पर संपूर्ण किताब है 'मोदी Live'सईद अंसारी | नई दिल्ली, 13 जनवरी 2015 | अपडेटेड: 00:28 ISTटैग्स:बुक रिव्यू|संजय द्विवेदी|मोदी...

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दिल्ली के दिल में क्या है?

दिल्ली विधानसभा चुनावों की गुत्थी अचानक एक विकट गुत्थमगुत्था लगने लगी है.अभी कुछ दिनों पहले तक लग रहा था कि लड़ाई एकतरफ़ा है और मोदी लहर दिल्ली में ‘आप’ की झाड़ू पर आसानी से झाड़ू लगा देगी! लेकिन अब यह...

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टेलीग्राम: (1857 का विद्रोह 'दबाने'वाले) की मौत

टेलीग्राम: 1857 का विद्रोह 'दबाने'वाले की मौतअजय शर्माबीबीसी संवाददाता, दिल्ली13 जुलाई 2013साझा कीजिएतार जैसे कारगर हथियार की वजह से अंग्रेज़ों को 1857 के विद्रोह को दबाने में काफ़ी मदद मिली.जब...

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कहाँ गए हमारे कार्टून?

मीडिया/ गोविन्द सिंहके शंकर पिल्लैकार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर...

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आर के लक्ष्मण

इस जीवित व्यक्ति की जीवनी में कोई भी स्रोत अथवा संदर्भ नहीं हैं।कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इसे बेहतर बनाने में मदद करें।जीवित व्यक्तियों के बारे में विवादास्पक सामग्री जो स्रोतहीन है या जिसका स्रोत...

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हिन्दी और हिन्दी पत्रकारिता की पीड़ा / संजय कुमार सिंह

Sanjaya Kumar Singh : हिन्दी, हिन्दी की नौकरी, अर्ध बेरोजगारी और हिन्दी में बने रहना... जनसत्ता में उपसंपादक बनने के लिए लिखित परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू से पहले ही सहायक संपादक बनवारी जी ने बता...

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bhadas4media / आवाजाही-कानाफूसी

   प्रस्तुति-- उपेन्द्र कश्यप, किशोर प्रियदर्शी, धीरज पांडेय राहुल मानव नईदुनिया में इन दिनों पौरस के हाथी की भूमिका कौन निभा रहा है?आनंद पांडे ने कहा सेल्फी मेरी जिद तो रिपोर्टर ने कहा- यह पकड़ो मेरा...

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नारी अब तुम केवल 'विज्ञापन'हो

प्रस्तुति-- स्वामी शरण, सृष्टि शरण               आज हम विकसित समाज में रह रहें है.जहाँ हम अपनी परम्परा और आदर्शों को लेकर आगे बढ़ रहे है.आज हम अपनी जीवन  शैली को आज के अनुरूप ढालने का प्रयास कर रहे...

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न्यू मीडिया ने New Media

 सौजन्य-- krishna instituteof mass communication'न्यू मीडिया'संचार का वह संवादात्मक (Interactive)स्वरूप है जिसमेंइंटरनेट का उपयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर एस एस फीड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस,...

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पत्रकारिता का उद्देश्य

पत्र- पत्रिकाओं में सदा से ही समाज को प्रभावित करने की क्षमता रही है। समाज में जो हुआ, जो हो रहा है, जो होगा, और जो होना चाहिए यानी जिस परिवर्तन की जरूरत है, इन सब पर पत्रकार को नजर रखनी होती है। आज...

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विज्ञापनों में सेक्स का पुट कितना सही ?

वंदनाबीबीसी संवाददाताडियोड्रेंट के कई विज्ञापनों पर सरकार ने आपत्ति दर्ज की हैएक ऐसे दौर में जहाँ बाज़ार नए-नए उत्पादों से पटापड़ा है, विज्ञापन वो तरीका है जिनके ज़रिए कंपनियाँ लोगों को अपनाउपभोक्ता...

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हिंदी को मार्केट की भाषा बनाना होगा: हरिवंश

0Submitted by Anonymous on Fri, 2013-09-13 17:51हरिवंश, ग्रुप एडिटर, प्रभात खबर दरअसल देखा जाए तो यह बात तो बिल्कुल सही है कि हिंदी कवियों और विचारकों की भाषा बन गई है। ये बात पूरी तरह से सही दिखाई दे...

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सिकुड़ती पत्रकारिता और फैलता मीडिया

  - पुण्य प्रसून वाजपेयी:10समाचार4मीडिया.कॉम ब्यूरोमीडिया का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन जर्नलिज्म गायब है। आज मीडिया से आंदोलन और पसीने की महक खत्म हो रही है। लेकिन इस विस्तार का फायदा है क्योंकि...

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खबरों पर स्टैंड लेना ही पड़ता है: / अमिताभ अग्निहोत्री

7Submitted by admin on Tue, 2013-12-17 18:00पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले अधिकांश पत्रकार अपने करियर की शुरुआत सब एडिटर या उपसंपादक के तौर पर ही करते हैं और पत्रकारिता के शीर्ष पर पहुंचने...

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उपभोक्ता समाज पर विज्ञापन का मायाजाल

 डॉ महेश परिमलपिछले कुछ वर्षों में मीडिया का विस्तार इतनी तेजी से हुआ है कि संचार की दुनिया ही बदल गई है। मीडिया से जुड़े और भी कई माध्यम हैं जिनमें काफी परिष्कार और निखार आया है। जन सम्पर्क और विज्ञापन...

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औरत के बदन से बड़ा कुछ नहीं

  आज वर्तमान समय में नारी पर हो रहे अत्याचारों से नारी को मुक्त करने, उन्हें आजाद करने पर विशेष चर्चाएं होती रहती है। सरकार ने भी इस दिशा में कई कारगर कदम उठाएं है। नारी मुक्ति के लिए हम और आप सभी...

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अघोषित आपातकाल के साए में नया साल!

मुरेश कुमारसन् 2014 मीडिया को नए ढंग से परिभाषित करने का वर्ष रहा है। ये भी कहा जा सकता है कि वह उसी दिशा में एक क़दम आगे और बढ़ा है जिसमें उसकी यात्रा नवउदारवादी दौर में चल रही थी और ये भी सच है कि ये...

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आर के लक्ष्मण की याद में...

Ravish Kumar,नई दिल्ली: कभी किसी के कमरे के बाहर से तो कभी किसी की बैठक में पीछे से झांकता वो आम आदमी कार्टून के छोटे से बक्से में भी कितना बड़ा था। जिसे रोज़ आर के लक्ष्मण हमारे लिए खींचा करते थे। कभी...

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